भारतीय 40 यूनेस्को विश्व विरासत स्थल परिचय

01. एलोरा की गुफाएं
भारत के महाराष्ट्र राज्य में स्थित हैं यह हिंदू बौद्ध और जैन तीनों धर्म से संबंधित हैं । इन गुफाओं का निर्माण संभवत 7 वीं से 11वीं शताब्दी के बीच में किया गया है। यह भारत के प्राचीन इतिहास के सांस्कृतिक और कलात्मक को दर्शाते हैं ।

02. अजंता की गुफाएं
अजंता की गुफाएं का निर्माण दो चरणों में किया गया । पहले चरण में इनका निर्माण अशोक के साम्राज्य के समय किया गया तथा दूसरे चरण में पांचवी से छठी शताब्दी के बीच में गुप्त साम्राज्य के समय किया गया । अजंता की गुफाएं महाराष्ट्र राज्य में स्थित है ।अजंता की गुफाएं हिंदू और बौद्ध धर्म से संबंधित हैं ।

03. आगरा का किला
आगरा का किला उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में यमुना नदी के किनारे स्थित हैं । इसे आगरा के लाल किले के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यह लाल पत्थरों से बना हुआ । यह किला भारत में मुगल साम्राज्य के समय बनाया गया था । इसकी लंबाई 2.5 किलोमीटर हैं । यह ताजमहल के पास में स्थित हैं ।

04. ताजमहल 1983
ताजमहल विश्व के 7 आश्चर्य (7 Wonders Of World) में से एक यमुना नदी के तट पर आगरा में स्थित हैं । इसका निर्माण शाहजहां ने अपनी तीसरी पत्नी बेगम मुमताज महल की याद में करवाया था । ताजमहल का निर्माण 16 वर्ष के दौरान 1631 से 1648 तक किया गया । ताजमहल के मुख्य शिल्पकार उस्ताद अहमद लाहौरी थे । यह सफेद संगमरमर से बनाया गया है । इसके चारों ओर 17 हेक्टेयर का मुगल गार्डन बनाया गया है ।

05. सूर्य मंदिर कोणार्क
कोणार्क में स्थित सूर्य मंदिर जोकि उड़ीसा के पुरी जिले में स्थित है । कोणार्क सूर्य मंदिर को “ब्लैक पैगोडा” के नाम से भी जाना जाता है । इसका निर्माण 13 वीं शताब्दी में पूर्वी गंगा वंश के राजा नरसिंहदेव प्रथम के द्वारा किया गया था । यह मंदिर बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित महानदी डेल्टा क्षेत्र में है ।

06. महाबलीपुरम के मंदिर
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से 58 किलोमीटर दूर स्थित है महाबलीपुरम में स्थित स्मारकों के समूह को यूनेस्को विश्व विरासत का दर्जा प्राप्त हैं । महाबलीपुरम में स्मारकों के समूह का निर्माण पल्लव वंश के राजाओं ने सातवीं और आठवीं शताब्दी में करवाया था ।

07. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान
भारत के उत्तर पूर्वी राज्य असम में ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिण किनारे पर स्थित काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को 1985 में यूनेस्को विश्व विरासत का दर्जा प्राप्त हुआ था । 1974 में काजीरंगा को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त हुआ था । काजीरंगा 42,996 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला हुआ है और यह एकमात्र जगह है जहां पर एक सींग का गेंडा पाया जाता है ।

08. मानस राष्ट्रीय उद्यान / मानस वन्यजीव अभयारण्य
भूटान देश की सीमा पर स्थित असम राज्य में मानस राष्ट्रीय उद्यान अपनी अनोखी विशेषताओं के कारण 1985 में यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत धरोहर में शामिल किया गया । 50,000 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले मानस टाइगर रिजर्व मानस को 1973 में टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया गया था । यहां पर बहुत विविध प्रकार के पेड़ पौधे और पशु पाए जाते हैं ।

09. केवलादेव घना पक्षी अभ्यारण
राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित हैं केवलादेव घना पक्षी अभ्यारण । यह पक्षियों के लिए सबसे पसंदीदा जगह हैं । सर्दियों में यहां पर देश-विदेश से हजारों की संख्या में पक्षी प्रवास करने आते हैं । केवलादेव घना पक्षी अभ्यारण को 1982 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया । इसे 1981 में रामसर स्थल घोषित किया गया और 1985 में यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल में शामिल किया गया । यह पूरा अभ्यारण 2783 हेक्टेयर में फैला हुआ है ।

10. गोवा के चर्च
गोवा राज्य में 16 वी से 18 वीं शताब्दी के बीच में पुर्तगाली शासकों के द्वारा बनाए गए 60 से भी ज्यादा चर्च को 1986 में यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत सूची (UNESCO World Heritage Site In India) में शामिल किया गया । यह सभी चर्च वेल्हा गोवा या पुराना गोवा में मांडवी नदी पर स्थित है ।

11. खजुराहो के स्मारक
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है । चंदेल वंश द्वारा निर्मित खजुराहो के स्मारक हिंदू और जैन धर्म से संबंधित हैं । खजुराहो में लगभग 85 मंदिर बनाए गए हैं । इनमें सबसे प्रसिद्ध कंदरिया महादेव मंदिर हैं । इन मंदिरों में इन मंदिरों की कलाकृति अनूठी हैं और इसी कारण से यूनेस्को ने 1982 में खजुराहो को विश्व विरासत में शामिल किया है ।

12. हंपी के स्मारक
हंपी के स्मारक कर्नाटक के विजयनगर जिले में स्थित है । प्राचीन विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी, जोकि तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित है, में बहुत सारे स्मारक बनाए गए हैं, जिन्हें यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत सूची में शामिल किया है । यह स्मारक हिंदू और जैन धर्म से संबंधित हैं तथा इनका निर्माण 14 वीं से 16 वीं शताब्दी के बीच में किया गया है । हंपी के मंदिर द्रविड़ शैली में बनाए गए हैं ।

13. फतेहपुर सीकरी
अकबर द्वारा अपनी जीत के उपरांत फतेहपुर सीकरी में बुलंद दरवाजा सहित कई स्मारक बनवाए गए । अकबर ने अपनी राजधानी फतेहपुर सीकरी को बनाया था । फतेहपुर सीकरी का निर्माण 1571 से 73 के बीच में किया गया था । फतेहपुर सीकरी के सभी स्मारक मुगलकालीन वास्तुकला से संबंधित हैं । फतेहपुर सीकरी में जामा मस्जिद, बुलंद दरवाजा, पंचमहल, सलीम चिश्ती का मकबरा, आदि स्थित है । फतेहपुर सीकरी वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है ।

14. पट्टादकल के स्मारक
कर्नाटक राज्य में स्थित पट्टादकल के स्मारक समूह को यूनेस्को द्वारा 1987 में विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है । नागर और द्रविड़ शैली के संगम से बने हुए यह स्मारक चालुक्य वंश द्वारा छठी से आठवीं शताब्दी के बीच में बनाए गए थे । यहां पर विरुपक्षा मंदिर हैं, जोकि 740 ईस्वी में रानी लोक महादेवी द्वारा उनके पति विक्रमादित्य द्वितीय के पल्लव वंश पर जीत के लिए बनाया गया था । ध्यान रहे एक विरुपक्षा मंदिर हम्पी में भी हैं ।

15. एलिफेंटा की गुफाएं
महाराष्ट्र में मुंबई शहर के पास में अरब सागर के तट पर पश्चिमी घाट में स्थित है । एलिफेंटा की गुफाएं यहां पर गुफाओं का दो समूह है और यह गुफाएं हिंदू और बौद्ध धर्म से संबंधित हैं । 1987 में एलीफेंटा की गुफाओं को विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया था । हिंदू धर्म में यह भगवान शिव को समर्पित गुफाएं हैं ।

16. चोल मंदिर
तमिलनाडु राज्य में चोल स्थापित साम्राज्य द्वारा 11वीं और 12वीं शताब्दी के आसपास में निर्मित मंदिरों को यूनेस्को विश्व विरासत सूची में शामिल किया । तीन प्रसिद्ध मंदिर है तंजावुर में स्थित बृहदेश्वर, गंगेकोडसोलपुरम में स्थित बृहदेश्वर मंदिर और तीसरा दरसौरम में स्थित एराटेश्वर मंदिर ।

17. सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान
सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन क्षेत्र तथा विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है, जो गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी द्वारा भारत के पश्चिम बंगाल राज्य और बांग्लादेश में मिलकर बनता हूं । भारत में स्थित सुंदरवन राष्ट्रीय भारत को टाइगर रिजर्व, बायोस्फीयर रिजर्व और यूनेस्को विश्व विरासत स्थल का दर्जा दिया गया है । 10,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान ।

18. नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान
नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड राज्य में स्थित है । जास्कर और हिमालय श्रेणी के बीच में स्थित नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान जो कि 87.5 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है,1982 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त करता है और 1988 में यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल के रूप में चिन्हित होता है । फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान भी उत्तराखंड में स्थित है ।

19. सांची स्तूप के स्मारक
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 45 किलोमीटर दूर सांची में स्थित बौद्ध स्मारकों को इनके अनोखी सांस्कृतिक महत्व के कारण यूनेस्को द्वारा 1989 में विश्व विरासत स्थल में शामिल किया गया ।सांची के स्तूप का निर्माण मौर्य सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में करवाया था । यह बौद्ध धर्म से संबंधित है ।

20. हुमायूं का मकबरा
मुगल शासक हुमायूं का मकबरा नई दिल्ली में स्थित हैं । हुमायूं के मकबरे का निर्माण 1569-70 के दौरान उनकी पत्नी हाजी बेगम ने करवाया था । यह मुगल स्थापत्य शैली का उदाहरण है । हुमायूं के मकबरे को “ताजमहल का अग्रगामी” भी कहा जाता है । 1993 में इसे UNESCO विश्व विरासत का दर्जा मिला था ।

21. कुतुब मीनार परिसर
कुतुब मीनार के आसपास के स्मारक को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है । कुतुब मीनार का निर्माण दिल्ली सल्तनत के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1124 ने शुरू किया तथा इसका पूर्ण कार्य इल्तुतमिश ने करवाया । उसके बाद भी अनेक शासकों ने इसकी मरम्मत करवाई थी । कुतुबमीनार की ऊंचाई 72 मीटर (238 फीट) है । कुतुब मीनार परिसर में स्थित हैं – प्रसिद्ध लौह स्तंभ, जो 23 फीट लंबा है और उस पर जंग नहीं लगता है ।

22. भारत के पर्वतीय रेल
भारत एक पर्वतीय भी देश है और यहां पर हिमालय और पश्चिमी घाट जैसे पर्वत श्रेणियां पर पर्वत चोटिया स्थित है । रेल भारत का महत्वपूर्ण हिस्सा है । इन पहाड़ों में रेल को जोड़ने के लिए बहुत सारी रेलगाड़ियां यहां पर शुरू की गई है, जिनमें तीन प्रमुख रेलगाड़ियों को जिनकी सूची नीचे दी गई है, यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है । यह तीन रेलवे ट्रैक स्वदेशी और साहसिक इंजीनियरिंग कला को प्रदर्शित करते हैं ।
  • भारत की पर्वतीय रेल:-दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे – दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल
  • नीलगिरि पर्वतीय रेल – ऊटी, तमिल नाडु
  • कालका-शिमला रेलवे हिमाचल प्रदेश
23. बोधगया परिसर
बिहार में बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर कांपलेक्स को लगभग 5 हेक्टेयर में फैला हुआ है और इसे अपनी अनोखी सांस्कृतिक और पुरातत्विक धरोहर के कारण यूनेस्को में शामिल किया गया है । बोधगया में महात्मा बुध को 531 ईसा पूर्व ज्ञान प्राप्त हुआ था, जिसे उन्होंने बाद में बौद्ध धर्म के रूप में विश्व में फैलाया । इस परिसर में पहला मंदिर अशोक ने 260 ईसा पूर्व में बनवाया था ।इस परिसर में जो मुख्य मंदिर है उसका निर्माण गुप्त काल, जिसे भारतीय सांस्कृतिक का स्वर्ण युग कहा जाता है उस दौरान पांचवी से छठी शताब्दी के बीच में किया गया था । UNESCO World Heritage Site In India

24. भीमबेटका की गुफाएं
मध्यप्रदेश में विंध्याचल की पहाड़ियों में स्थित भीमबेटका की गुफाएं, जिनकी खोज 1957 में की गई है अपनी कलाकारी के लिए यूनेस्को द्वारा 2003 में विश्व विरासत स्थल के रूप में चयनित हुई है । विंध्याचल के पहाड़ों में घने जंगलों के बीच में यह गुफाएं लगभग 1893 हेक्टेयर में फैली हुई है । भीमबेटका की गुफाओं को लगभग 30,000 वर्ष पुराना माना जाता है और यहां के आसपास के 21 गांवों में इस गुफा के चित्र के रिवाज का असर दिखता है ।

25. छत्रपति शिवाजी टर्मिनल
भारत का सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन और मध्य रेलवे के मुख्यालय के रूप में छत्रपति शिवाजी टर्मिनल मुंबई में स्थित हैं यह ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन है जिसका 1996 से पहले नाम विक्टोरिया टर्मिनल हुआ करता था 1996 शिवसेना की मांग इस रेलवे स्टेशन टर्मिनल के वास्तुकार फ्रेडरिक विलियम स्टेशन थे जिन्होंने 886 से 81 में इसका निर्माण किया था 2004 में यूनेस्को विश्व विरासत में शामिल किया था

26. चंपानेर पावागढ़ पुरातत्व पार्क
गुजरात के पंचमहल जिले में चंपानेर-पावागढ़ पुरातत्व पार्क स्थित है, जिसे अपनी खास विशेषताओं के कारण UNESCO ने 2004 में सांस्कृतिक धरोहर के रूप में विश्व विरासत सूची (World Heritage) में शामिल किया है । यह प्राचीन हिंदू राजा की राजधानी हुआ करती थी । यहां पर 16th शताब्दी के किले भी हैं । चंपानेर-पावागढ़ में किले, महल, धार्मिक महल, कृषि और जल प्रबंधन आदि की जानकारी 8 वीं से 14 वीं शताब्दी के बीच की मिलती है । यहां पर पावागढ़ पहाड़ी के ऊपर कालिकामाता मंदिर और जैन मंदिर स्थित है ।

27. लाल किला परिसर
मुगल स्थापत्य कला प्रमुख उदाहरण लाल किला परिसर भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित है, जहां पर प्रत्येक स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री तिरंगा पहनाते हैं । लाल किले का निर्माण पांचवे मुगल शासक शाहजहां ने 1628 से 1658 के बीच में करवाया था । यह लाल पत्थर से बना हुआ है, इसी कारण से इसे लाल किला कहां जाता है । चारों और दीवारों से घिरा हुआ विशाल किला मुगल स्थापत्य कला तथा भारतीय स्थापत्य कला का प्रमुख उदाहरण है । यहां पर औरंगजेब द्वारा बनवाई गई मोती मस्जिद स्थित है । लाल किले के साथ ही सालिमगढ़ किला, जो कि इस्लाम शाह सुरी द्वारा 1546 में बनवाया गया था, उसे भी लाल किला परिसर के साथ में यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है ।

28. जंतर-मंतर, जयपुर
राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित जंतर-मंतर का निर्माण महाराजा जयसिंह द्वितीय ने 1727 से 1734 के बीच में करवाया था । यह एक प्रकार से शिल्पकला और खगोलीय संग्रहालय है, जहां पर प्राचीन काल में मौसम से संबंधित और खगोलीय घटनाओं का परीक्षण किया जाता था । महाराजा जयसिंह ने कुल 5 जंतर-मंतर संग्रहालय बनवाए थे । यह पांच जंतर मंतर उन्होंने – 1.नई दिल्ली, 2.जयपुर, 3.उज्जैन, 4.मथुरा और 5.वाराणसी में बनवाए थे । लेकिन जयपुर का जंतर मंतर सबसे बड़ा है, इसीलिए इसे यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है ।

29. पश्चिमी घाट
अरब सागर के तट पर जैव विविधता से भरपूर पहाड़ों को पश्चिमी घाट कहां जाता है,अपनी खास विशेषताओं के कारण यूनेस्को विश्व विरासत में शामिल है । पश्चिमी घाट के लगभग 39 स्थलों को यूनेस्को विश्व विरासत में शामिल किया गया है, जिनमें 20 केरल, 10 कर्नाटक, 5 तमिलनाडु और 4 महाराष्ट्र से हैं । पश्चिमी घाट की पहाड़ियों जिन्हें UNESCO विश्व विरासत में शामिल किया गया है, के अंतर्गत बहुत सारे पहाड़ आते हैं; जैसे – अगस्थ्यामालाई की पहाड़ियां, पेरियार की पहाड़ियां, अन्नामलाई की पहाड़ियां, नीलगिरी की पहाड़ियां, तलाकावेरी की पहाड़ियां, कुदरेमुख की पहाड़ियां, सहयात्री की पहाड़ियां. आदि सम्मिलित है ।

30. राजस्थान के पहाड़ी किले
राजस्थान राजपूतों की भूमि और किलों का प्रदेश है । यहां पर प्राचीन काल के बहुत महत्वपूर्ण किले हैं, जिनमें से 6 प्रमुख पर्वतीय किलों को UNESCO विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है । यह सभी पहाड़ी किले अरावली पर्वत श्रेणी में स्थित हैं, जो राजपूत राजाओं के सैनिक स्थापत्य कला और भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण केंद्र है । इन किलों में प्राचीन काल के बहुत सारे महल, हिंदू और जैन मंदिर, व्यापार केंद्र आदि हैं । वर्तमान में यह सभी किले देशी और विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है । इन सभी की सूची नीचे दी गई है –
राजस्थान के 6 पहाड़ी दुर्ग (यूनेस्को में शामिल) –
  1. चित्तौड़गढ़ का किला चित्तौड़गढ़
  2. कुंभलगढ़ का किला राजसमन्द
  3. रणथंबोर का किला सवाई माधोपुर
  4. आमेर का किला जयपुर
  5. सोनार का किला जैसलमेर
  6. गागरोन का किला झालावाड़
31. रानी की वाव
गुजरात के पाटन जिले में स्थित रानी की वाव अपने आकार और मूर्तिकारिता के कारण बहुत प्रसिद्ध है । रानी की वाव की लंबाई 64 मीटर, चौड़ाई 20 मीटर और 27 मीटर गहरी हैं । रानी की वाव में लगभग 500 भगवान की मूर्तियां बनाई गई है, जिनमें प्रमुख रूप से विष्णु के सभी अवतार तथा अन्य मूर्तियां हैं । इस सांस्कृतिक और ऐतिहासिकता के कारण रानी की वाव को 2014 में यूनेस्को विश्व विरासत में शामिल किया गया था तथा भारतीय रुपए में ₹100 के नोट पर रानी की वाव का चित्र अंकित है ।

32. ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क ऊंचाई पर पाए जाने वाले पेड़-पौधों और जीव जंतुओं के लिए प्रसिद्ध है । लगभग 90,540 हेक्टेयर में फैला हुआ यह राष्ट्रीय उद्यान जैव विविधता के कारण तथा यह हिमालय में स्थित है । यहां पर 25 प्रकार के जंगलों के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के जीव जंतुओं की प्रजातियां की प्रचुरता है, जिनमें कुछ खतरे वाली प्रजातियां भी शामिल है ।

33. नालंदा विश्वविद्यालय
भारत का सबसे प्राचीनतम विश्वविद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त सम्राट कुमारगुप्त ने की थी । यह ऐतिहासिक विश्वविद्यालय के साथ-साथ यहां पर बहुत सारे बौद्ध स्तूप, विहार आदि स्थित है । इनका निर्माण तीसरी शताब्दी के आस-पास किया गया था । वर्तमान में यह बिहार राज्य में स्थित है । 2016 में नालंदा विश्वविद्यालय को यूनेस्को में शामिल किया गया था ।

34. कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान
भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य सिक्किम में हिमालय श्रेणी में स्थित कंचनजंगा राष्ट्रीय पार्क अपनी अनोखी विविधताओं से परिपूर्ण है । यहां पर समतल मैदान, घाटी, झीले, ग्लेशियर और बहुत सारे बर्फ से ढके हुए पहाड़ के साथ पुराने जंगल आदि विविधताओं से भरा हुआ है । यहां पर विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा भी स्थित हैं । 2016 में कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया ।

35. ले करबुसिएर के कलात्मक कार्य
7 अलग-अलग देशों की 17 विभिन्न स्थलों को शामिल करके यूनेस्को विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है । भारत में चंडीगढ़ में स्थित हैं “ले करबुसिएर” के रचनात्मक और कलात्मक कार्य, जिन्हें 2016 में यूनेस्को में शामिल किया गया ।

36. अहमदाबाद का ऐतिहासिक शहर
अहमदाबाद का ऐतिहासिक शहर चारों और दीवार से घिरा हुआ अहमदाबाद का पुराना ऐतिहासिक शहर, जिसे अहमद शाह प्रथम ने 15वीं शताब्दी में स्थापित किया था । साबरमती नदी के पूर्वी तट पर स्थित हैं । यह सल्तनत काल के स्थापत्य विरासत कला को दर्शाता है । साथ में शहर के प्रमुख किले, हिंदू और जैन मंदिर, मकबरे, मस्जिद, आदि भी शामिल हैं तथा अधिक घनत्व वाले लोगों की रहने की जगह जिन्हें “पोल” कहां जाता है, आदि प्राचीन काल की विशेषताओं के कारण 2017 में यूनेस्को विश्व विरासत में शामिल किया गया है ।

37. मुंबई के विक्टोरियन गोथिक
मुंबई में ब्रिटिश काल के समय बनाई गई बहुत सारे ऐतिहासिक इमारतें हैं. जिन्हें यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत में शामिल किया गया है । इन इमारतों में शामिल हैं मुंबई हाईकोर्ट, राजबाई क्लॉक टावर, मुंबई यूनिवर्सिटी, मुंबई यूनिवर्सिटी का पुस्तकालय, आदि ।

38. जयपुर
राजस्थान की राजधानी गुलाबी नगरी जयपुर की स्थापना 1727 में सवाई जयसिंह द्वितीय के द्वारा की गई है । क्षेत्र के अन्य शहरों की अपेक्षा जयपुर को पहाड़ी पर नहीं बसाते हुए एक समतल इलाके में बसाया गया । जयपुर के ऐतिहासिक शहर का ग्रिड प्लान वैदिक सभ्यता के अनुसार तथा पश्चिमी देशों के अनुसार उपयोग किया गया । जयपुर के ऐतिहासिक शहर में सड़कों के किनारे मंदिर, बाजार तथा अन्य तरह की व्यवस्था की गई । ऐतिहासिक तथा आधुनिकता के मिश्रण के कारण 2019 में जयपुर को यूनेस्को विश्व विरासत में शामिल किया गया ।

39. रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर
तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद से 200 किलोमीटर दूर पालमपेट में स्थित रुद्रेश्वर मंदिर जिसे “रामप्पा मंदिर” के नाम से जाना जाता है । 2021 में यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया । यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं । इसका निर्माण 1213 ईस्वी में काकतीय साम्राज्य के दौरान गणपति देवा के शासनकाल में करवाया गया ।

40. धोलावीरा
वर्तमान गुजरात राज्य में स्थित प्राचीन हड़प्पा सभ्यता का प्रमुख शहर धोलावीरा जो अपने शहरीकरण के कारण बहुत महत्वपूर्ण है । धोलावीरा सिंधु घाटी सभ्यता का बंदरगाह शहर था । धौलावीरा की खोज 1968 में की गई थी । धोलावीरा से विभिन्न प्रकार की चीजें; जैसे – तांबा, पत्थर, आभूषण, टेराकोटा, सोना, आदि पाया गया । धोलावीरा की ऐतिहासिकता के कारण 2021 में UNESCO द्वारा विश्व विरासत सूची (UNESCO World Heritage Site In India) में शामिल किया गया ।

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