वर्ण एवं वर्णमाला

वर्ण एवं वर्णमाला

भाषा के प्रकार - ( 03 ) लिखित भाषा, मौखिक भाषा, सांकेतिक भाषा
  • भाषा की सबसे छोटी सार्थक इकाई - शब्द
  • भाषा की सबसे छोटी ईकाई - वर्ण
  • सबसे छोटी लिखित इकाई - वर्ण
  • सबसे छोटी मौखिक इकाई - ध्वनि
वर्णमाला किसे कहते है। - वर्णों के व्यवस्थित / क्रमबद्ध समूह को

वर्ण के भेद - ( 02 ) स्वर , व्यंजन

स्त्रीलिंग वर्ण - ( 03 ) इ ई ऋ
  • लेखन के आधार पर वर्णों की संख्या - 52 { 11 स्वर + 02 अयोगवाह + 25 स्पर्श/विर्गीय व्यंजन + 02 द्विगुण व्यंजन + 04 अंतःस्थ व्यंजन + 04 ऊष्म व्यंजन + 04 संयुक्त व्यंजन }
  • उच्चारण के आधार पर वर्णों की संख्या - 45 { 10 स्वर + 35 व्यंजन }
  • कामता प्रसाद गुरू के अनुसार वर्णों की संख्या - 46 { 13 ( 11 स्वर+02 अयोगवाह ) + 33 व्यंजन }
  • संस्कृत में वर्णमाला की संख्या है - 50 { 13 स्वर + 33 व्यंजन + 04 अयोगवाह }
स्वर

स्वर किसे कहते है: स्वतन्त्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण
स्वर को संस्कृत भाषा में अच् कहते है।
  • स्वर: अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ
  • अनुस्वर एवं विसर्ग / अयोगवाह - ( 02 ) अं अः
  • कुल स्वरों की संख्या - 11
  • लिखने के आधार पर स्वरों की संख्या - 11
  • उच्चारण के आधार पर संख्या - 10
स्वरों का वर्गीकरण 
07 प्रकार

मात्रा / उच्चारण मे लगने वाले समय के आधार स्वर के 03 प्रकार : 
  1. मूल/हृस्व स्वर - जिन्हे बोलने में कम समय लगे - (04) अ इ उ ऋ 
  2. दीर्घ स्वर: जिनकों बोलने में मूल स्वर से अधिक समय लगे - 07
    1. सजातीय दीर्घ स्वर - ( 03 ) (अ+अ) ,   (इ+इ) , (उ+उ)
    2. विजातीय दीर्घ/संयुक्त स्वर /असवर्ण- ( 04 ) ए (अ+इ) , ऐ (अ+ए) , ओ (अ+उ) , औ (अ+ओ)
  3. प्लुत स्वर - जिनकों बोलने में दीर्घ स्वर से अधिक समय लगे - ओऽऽऽऽम
मूल दीर्घ स्वर - ( 04 ) आ ई ऊ ऋ

जीभ के आधार पर स्वरों के प्रकार - 03
  1. अग्र स्वर : जब जीभ का अगला भाग काम करें - इ ई ए ऐ
  2. मध्य स्वर : जब जीभ का मध्य भाग काम करें - अ
  3. पश्च श्वर : जब जीभ का पिछला भाग काम करें - आ उ ऊ ओ औ
मुख विवर के खुलने के आधार पर - 04
  1. विवृत : मुख पुरा खुले - आ
  2. अर्ध विवृत : मुख आधा खुले - अ औ ए
  3. संवृत : मुख लगभग बंद सा रहें - इ ई उ ऊ
  4. अर्ध संवृत : जब मुख आधा बंद रहें - ऐ ओ
ओंठों की स्थिति के आधार पर - 02
  1. वृतमुखी: उच्चारण में ओंठ वृत नुमा रहें - उ ऊ ओ औ
  2. अवृतमुखी: उच्चारण में ओंठ वृत नुमा नहीं रहें - अ आ इ ई ए ऐ
जाति कें आधार पर स्वरों का वर्गीकरण - 02 प्रकार
  1. सजातीय जाति - अ आ इ ई उ ऊ
  2. विजातीय जाति - ए ऐ ओ औ
प्राणत्व के आधार पर : स्वरों के उच्चारण में मुख से हवा कम निकलती है, इसलिए सभी स्वरों को अल्पप्राण माना जाता है।
घोषत्व के आधार पर - स्वरों के उच्चारण से स्वरतन्त्रियों में कंपन उत्पन्न होती है, इसलिए सभी स्वर सघोष ध्वनियाँ है।

व्यंजन

व्यंजन किसे कहते है: स्वर की सहायता लेकर बोले जाने वाले वर्ण ।
संस्कृत भाषा में व्यंजन को हल् कहते है।
  • मूल व्यंजनों की संख्या – 33
व्यंजनों  & स्वरों का उच्चारण स्थान एवं उनका वर्गीकरण : –

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  • अंतःस्थ व्यंजन - य र ल व
  • अर्ध स्वर - य व
  • पाश्र्विक व्यंजन : इसके उच्चारण में जीभ के पाश्र्व ( बगल ) भाग काम करते है। - ल
  • द्विगुण/उत्क्षिप्त व्यंजन - ड़ ढ़
  • पंचमाक्षर /नासिक्य वर्ग - ड. ञ ण न म
  • लुठित/प्रकम्पित व्यंजन - र
  • ऊष्म संघर्षी व्यंजन: उच्चारण करने में गर्म हवा / ऊष्मा निकले - श ष स ह
  • संयुक्त व्यंजन: जो दो व्यंजन के मेल से बने - क्ष ( क् + ष ) त्र (त् +र) , ज्ञ (ज्+ ञ) श्र ( श्+र )
ध्वनि के आधार पर कितने व्यजन होते है - 03
  1. युग्मक ध्वनि : e.g. दिल्ली , उन्नति
  2. सम्पृक्त ध्वनि : e.g. - सम्बल , बन्दन
  3. संयुक्त ध्वनि : e.g. - सर्प, क्रम

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