क्रिया - जिस शब्द से किसी काम का करना या होना समझा जाए, उसे ’क्रिया’(Kriya) कहते है; संज्ञा एवं सर्वनाम के आधार पर भी क्रिया का रूप परिवर्तित होता है। क्रिया विकारी शब्द है
जैसे- पढ़ना, खाना, पीना, जाना इत्यादि।
Example.
- अध्यापक छात्रों को पाठ पढ़ा रहा था।
- महेश क्रिकेट खेल रहा है।
क्रिया के भेद - क्रिया के भेद अलग-अलग आधार पर तय किय जाते हैं. अतः क्रिया के भेद जानने के लिए पहले क्रिया का वर्गीकरण जानना आवश्यक है. क्रिया का वर्गीकरण तीन आधार पर किया गया है-
- कर्म के आधार पर वर्गीकरण
- प्रयोग एवं संरचना के आधार वर्गीकरण
- काल के आधार पर क्रिया का वर्गीकरण

कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते हैं-
- सकर्मक क्रिया (Transitive verb)
- अकर्मक क्रिया (Intransitive verb)
01. सकर्मक क्रिया - वे क्रियाएँ जिनका प्रभाव वाक्य में प्रयुक्त कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़ता है उन्हें सकर्मक क्रिया कहते हैं।
स’ और ‘कर्मक’ - जहाँ ‘स’ उपसर्ग का अर्थ ‘साथ में’ तथा ‘कर्मक’ का अर्थ ‘कर्म के’ है।
आपको वाक्य में क्रिया पद से पहले ‘क्या’ लगाकर सवाल की तरह पढ़ना है। यदि वाक्य में प्रयुक्त ‘कर्म’ के रूप में जवाब मिल जाएगा। जैसे: रमेश खाना बना रहा है। इस वाक्य में हम क्रिया पद ‘बना रहा है’ से पहले क्या लगाकर वाक्य को पढ़ते हैं – रमेश क्या बना रहा है? जवाब होगा कि – ‘खाना’ बना रहा है। अतः इस वाक्य में ‘बना रहा है’ सकर्मक क्रिया है।
Example.
- गीता चाय बना रही है।
- महेश पत्र लिखता है।
- हमने एक नया मकान बनाया।
- वह मुझे अपना भाई मानती है।
सकर्मक क्रिया के भेद
- (i) पूर्ण सकर्मक क्रिया (perfect transitive verb)
- (ii) अपूर्ण सकर्मक क्रिया (imperfect transitive verb)
(i) पूर्ण सकर्मक क्रिया - सकर्मक क्रिया का वह रूप जिसमें क्रिया के साथ ‘कर्म’ के अतिरिक्त किसी अन्य पूरक शब्द (संज्ञा या विशेषण) की आवश्यकता नहीं होती है, उस क्रिया को पूर्ण सकर्मक क्रिया कहते हैं।
Ex.
- महेश ने घर बनाया।
- बच्चा पी रहा है।
पूर्ण सकर्मक क्रिया के दो भेद होते हैं.
a) एक कर्मक क्रिया - यदि किसी वाक्य में सकर्मक क्रिया के साथ सिर्फ़ एक कर्म प्रयुक्त हुआ हो तो उसे एक कर्मक क्रिया कहते हैं।
Ex.
- विजय भोजन कर रहा है।
- अध्यापक पाठ पढ़ा रहा है।
b) द्विकर्मक क्रिया - यदि किसी वाक्य में पूर्ण सकर्मक क्रिया के साथ दो कर्म (प्रधान कर्म एवं गौण कर्म) प्रयुक्त हुए हों तो, उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं।
Ex.
- मैंने साबुन से कपड़े धोए।
- शंकर ने बाज़ार से केले ख़रीदे।
ii. अपूर्ण सकर्मक क्रिया – सकर्मक क्रिया का वह रूप जिसमें क्रिया के साथ ‘कर्म’ के अतिरिक्त भी किसी न किसी पूरक शब्द (संज्ञा या विशेषण) की आवश्यकता बनी रहती हो तो, उस क्रिया को अपूर्ण सकर्मक क्रिया कहते हैं।
चार क्रियाएँ मानना, समझना, चुनना (चयन) एवं बनाना (चयन के अर्थ में) सदैव अपूर्ण सकर्मक क्रिया होती हैं। काम का पूर्ण होना नहीं पाया जाता।
Ex.
- हमने सुमेर को समिति का अध्यक्ष बनाया।
- वह अपने आपको हिटलर समझता है।
- रमेश महेश को अपना दुश्मन समझता है।
- देश ने मोदी को प्रधानमंत्री चुना था।
02. अकर्मक क्रिया - जिन क्रियाओं का व्यापार और फल कर्ता पर हो, वे ’अकर्मक क्रिया’ कहलाती हैं।कर्म प्रयुक्त नहीं होता है।
अ और कर्मक - अ उपसर्ग का अर्थ बिना तथा कर्मक का अर्थ कर्म के होता है।
Ex.
- श्याम सोता है। इसमें ’सोना’ क्रिया अकर्मक है। ’श्याम’ कर्ता है, ’सोने’ की क्रिया उसी के द्वारा पूरी होती है।
- वह मेरा मित्र है।
- मैं रात भर नहीं सोया।
- मुकेश बैठा है।
- बच्चा रो रहा है।
उपरोक्त सभी उदाहरणों में कर्म कारक उपस्थित नहीं है। अतः यहाँ अकर्मक क्रिया है।
Note - सकर्मक और अकर्मक क्रियाओं की पहचान ’क्या’ या ’किसको’ आदि प्रश्न करने से होती है। यदि कुछ उत्तर मिले ,तो समझना चाहिए कि क्रिया सकर्मक है और यदि न मिले तो अकर्मक होगी।
कुछ क्रियाएँ अकर्मक और सकर्मक दोनों होती हैं और प्रसंग अथवा अर्थ के अनुसार इनके भेद का निर्णय किया जाता है। -
जैसे-
- सकर्मक - मैं घङा भरता हूँ।
- अकर्मक - बूँद-बूँद से घङा भरता है।
प्रयोग तथा संरचना के आधार पर क्रिया के भेद -
- सामान्य क्रिया
- सहायक क्रिया
- संयुक्त क्रिया
- प्रेरणार्थक क्रिया
- पूर्वकालिक क्रिया
- सजातीय क्रिया
- कृदंत क्रिया
- नामधातु क्रिया
01. सामान्य क्रिया – जिसमें एक कार्य एवं एक ही क्रिया पद होता है।
Example.
- रवि पुस्तक पढ़ता है।
- श्याम आम खाता है।
02.सहायक क्रिया – किसी वाक्य में वह पद जो मुख्य क्रिया के साथ लगकर वाक्य को पूर्ण करता है, सहायक क्रिया वाक्य के काल का परिचायक होती है।
Ex.
- रवि पढ़ता है।
- मैंने पुस्तक पढ़ ली है।
03. संयुक्त क्रिया – वह क्रिया जो दो अलग-अलग क्रियाओं के योग से बनती हैं।
Ex.
- रजनी ने खाना खा लिया।
- शंकर ने खाना बना लिया।
04. प्रेरणार्थक क्रिया - वे क्रियाएँ जिन्हें कर्ता स्वयं करने के बजाय किसी दूसरे को क्रिया करने के लिए प्रेरित करता है,प्रेरणार्थक क्रिया की रचना सकर्मक एवं अकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं से हो सकती है, लेकिन प्रेरणार्थक क्रिया बन जाने के पश्चात वह सदैव सकर्मक ही होती है।
प्रेरणार्थक क्रिया के दो प्रकार होते हैं।
a) प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया या प्रत्यक्ष प्रेरणार्थक क्रिया
b) द्वितीय प्रेरणार्थक रूप या अप्रत्यक्ष प्रेरणार्थक क्रिया
Ex.
- रतन महेश से पत्र लिखवाता है।
- सविता कविता से कपड़े धुलवाती है।
05. पूर्वकालिक क्रिया – जब कर्ता एक क्रिया समाप्त कर उसी क्षण दूसरी क्रिया में प्रवृत्त होता है तब पहली क्रिया ’पूर्वकालिक’ कहलाती है।
Ex.
- उसने नहाकर भोजन किया।
- विकास पढ़कर सो गया।
06.सजातीय क्रिया – क्रिया का वह रूप जिसमें कर्म तथा क्रिया दोनों एक ही धातु से बने हों तथा एक साथ प्रयुक्त हुए हों।
Ex.
- भारत ने लड़ाई लड़ी।
07. कृदंत क्रिया - वे क्रियाएं, जो क्रिया पदों के साथ प्रत्यय लगाने से बनती हैं।
Ex.
- चल धातु से = चलना, चलता, चलकर
- लिख धातु से = लिखना, लिखता, लिखकर
08. नामधातु क्रिया – आमतौर पर सभी क्रियाओं की रचना किसी न किसी धातु से होती है, लेकिन जब किसी क्रिया की रचना धातु से ना होकर संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण से होती है तो, उस क्रिया को नामधातु क्रिया कहते हैं।
Ex.
- अपना (सर्वनाम) + ना = अपनाना
- चमक (संज्ञा) + ना = चमकना, चमकाना
- बात से बतियाना
- दुःख से दुःखाना
- हाथ से हथियाना
- गर्म से गरमाना
- चिकना से चिकनाना
काल के आधार पर क्रिया के भेद 03 -
- भूतकालिक क्रिया
- वर्तमानकालिक क्रिया
- भविष्यतकालिक क्रिया
01. भूतकालिक क्रिया – वे क्रियाएँ, जिनके द्वारा भूतकाल में कार्य के संपन्न होने का बोध होता हैं।
Example.
- विकास ने पुस्तक पढ़ ली थी।
- रमेश सुबह ही चला गया था।
भूतकालिक क्रिया के 6 भेद होते हैं-
a) सामान्य भूतकालिक क्रिया – क्रिया के जिस रूप से कार्य के बीते हुए समय में होने का बोध होता हो, लेकिन कार्य के पूर्ण होने का निश्चित समय का पता नहीं चलता हो. यदि किसी वाक्य के अंत में या, यी, ये अथवा आ, ए, ई आया हो.
Ex.
- नवीन ने खाना खाया।
b) आसन्न भूतकालिक क्रिया – क्रिया के जिस रूप से कार्य के कुछ समय पूर्व ही समाप्त होने का बोध होता हो, यदि किसी वाक्य के अंत में चुका है, चुकी है, चुके हैं, चुका हूँ, चुकी हूँ अथवा या, ये, यी, आ, ए, ई के साथ में हैं, है प्रयुक्त किया गया हो.
Ex.
- महेश ने चारपाई बना ली है।
c) पूर्ण भूतकालिक क्रिया – क्रिया के जिस रूप से कार्य के बहुत समय पूर्व समाप्त होने का बोध होता हो, यदि किसी वाक्य के अंत में चुका था, चुकी थी, चुके थे अथवा या, ये, यी, आ, ए, ई के साथ था, थे, थी लगा हो.
Ex.
- महेश ने चारपाई बना ली थी।
d) संदिग्ध भूतकालिक क्रिया – क्रिया के जिस रूप से कार्य के बीते हुए समय में होने पर संशय का बोध हो तो, यदि किसी वाक्य के अंत में चुका होगा, चुकी होगी, चुके होंगे अथवा या, ये, यी, आ, ए, ई के साथ होगा, होगी, होंगे प्रयुक्त हुआ हो.
Ex.
- महेश ने चारपाई बना ली होगी।
- सीता सो चुकी होगी।
e) अपूर्ण भूतकालिक क्रिया – क्रिया के जिस रूप से कार्य का बीते हुए समय में जारी रहने का बोध होता हो, यदि किसी वाक्य के अंत में रहा था, रही थी, रहे थे करता था, करती थी, करते थे आ रहा हो.
Ex.
- सीता सो रही थी।
f) हेतुहेतुमद् भूतकालिक क्रिया – भूतकालिक क्रिया का वह रूप जिसमें बीते हुए समय के साथ कोई शर्त प्रयुक्त हुई हो.
Ex.
- यदि हम पढ़ते तो सफल हो जाते।
- अगर मैं वहां होता तो ऐसा कभी ना होता।
02 -वर्तमानकालिक क्रिया – वे क्रियाएँ, जिनके द्वारा वर्तमान में काम के संपन्न होने का बोध होता हैं।
Example.
- मेश खाना खाता है।
वर्तमानकालिक क्रिया के भेद -
a) सामान्य वर्तमानकालिक क्रिया - जिससे कार्य का वर्तमान समय में जारी रहने का बोध हो,वाक्य के अंत में रहा है, रही है, रहे हैं, रही हूँ, रहा हूँ में से कोई सहायक क्रिया प्रयुक्त हुई हो ।
Ex.
- मैं कपड़े धो रहा हूँ।
b) अपूर्ण वर्तमानकालिक क्रिया - जिससे कार्य का वर्तमान समय में जारी रहने का बोध हो,वाक्य के अंत में रहा है, रही है, रहे हैं, रही हूँ, रहा हूँ में से कोई सहायक क्रिया प्रयुक्त हुई हो।
Ex.
- सीता चाय बना रही है।
c) संदिग्ध वर्तमानकालिक क्रिया - जिससे कार्य के वर्तमान समय में होने पर संशय का बोध हो तो, वाक्य के अंत में रहा होगा, रही होगी, रहे होंगे में से कोई एक सहायक क्रिया के रूप में प्रयुक्त हुआ हो।
Ex.
- सीता चाय बना रही होगी।
d) आज्ञार्थक वर्तमानकालिक क्रिया - जिससे वर्तमान काल में आज्ञा या आदेश देने का बोध हो।
Ex.
- सीता अब तुम चाय बनाओ।
e) सम्भाव्य वर्तमानकालिक क्रिया - जिससे वर्तमान समय में अपूर्ण क्रिया की संभावना या संशय होने का बोध होता हो, वाक्य के अंत में सहायक क्रिया के रूप में रहा होगा, रही होगी, रहे होंगे, रहा हो, रही हो, रहे हो आदि में से किसी एक का प्रयोग किया गया हो।
Ex.
- शायद रवि आया हो।
03. भविष्यतकालिक क्रिया – वे क्रियाएं, जिनके द्वारा भविष्य में होने वाले काम का बोध होता हो, उन्हें भविष्यतकालिक क्रिया कहते हैं-
Example.
- वह कल जयपुर जाएगा।
- रमेश अगले सप्ताह घर आएगा।
भविष्यतकालिक क्रिया के तीन भेद होते हैं-
a) सामान्य भविष्यतकालिक क्रिया - वह रूप जिससे कार्य का सामान्य रूप से आने वाले समय में होने का बोध होता हो वाक्य के अंत में एगा, एगी, एंगे, उँगा, उँगी आदि सहायक क्रियाओं में से कोई एक क्रिया आई हो ।
Ex.
- वह पुस्तक पड़ेगा।
- मैं घर जाऊंगा।
b) आज्ञार्थक भविष्यतकालिक क्रिया – जिससे भविष्य काल में आज्ञा या आदेश देने का बोध प्रकट होता होवाक्य के अंत में ‘इएगा’ सहायता क्रिया के रूप में प्रयुक्त किया गया हो।
Ex.
- आप अपनी पढ़ाई कीजिएगा।
- आप कल अवश्य आइएगा।
c) संभाव्य भविष्यतकालिक क्रिया – जिस रूप से कार्य के भविष्य काल में होने की संभावना या संशय होने का बोध होता हो वाक्य के अंत में सकता है, सकती है, सकते हैं, सकता हूँ, सकती हूँ, चाहिए आदि आया हो।
Ex.
- दो दिन बाद रमेश आ सकता है।
- अब मुझे क्या करना चाहिए।
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