बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे । बौद्धधर्म मूलतः अनीश्वरवादी है। इसमें आत्मा की परिकल्पना भी नहीं है। बौद्धधर्म में पुनर्जन्म की मान्यता है।
पारिवारिक स्थिति :
- बौद्ध धर्म के अन्य नाम - ज्योति पुञ्ज (Light of Asia), तथागत, शाक्य मुनि, शाक्य सिंह , सिद्धार्थ (बचपन का नाम )
- जन्म - 563 BC { लुम्बिनी में ( नेपाल ) }
- मृत्यु - 483 BC { कुशीनारा में (UP, भारत) }
- मृत्यु चुन्द द्वारा अर्पित भोजन करने के बाद हो गई थी। मल्लों ने अत्यन्त सम्मानपूर्वक बुद्ध का अन्त्येष्टि संस्कार किया।
- पिता का नाम - शुद्धोधन ( शाक्य गण के प्रथम मुखिया थे। )
- माता - मायादेवी ( कोलिया गनराज्य के प्रमुख 'सुप्रबुद्ध' की कन्या थीं )
- सौतेली माँ - प्रजापति गौतमी
- पत्नी - यशोधरा ( विवाह 16 वर्ष की अवस्था में )
- पुत्र - राहुल (12 साल के बाद पैदा हुवा )
- सिद्धार्थ के जन्म के सातवें दिन मायादेवी की मृत्यु हो गई थी।
- बुद्ध के जन्म एवं मृत्यु की तिथि को चीनी परम्परा के कैन्टोन अभिलेख के आधार पर निश्चित किया गया है।
जब सिद्धार्थ उनके सारथी छंदक के साथ कपिलवस्तु की सैर पर निकले तो उन्होंने निम्न चार दृश्यों को क्रमशः देखा :
- बूढ़ा व्यक्ति,
- एक बीमार व्यक्ति
- शव
- एक संन्यासी
सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की अवस्था में गृह-त्याग किया।
गृह-त्याग करने के बाद शिक्षा :
- सांख्य दर्शन की - वैशाली के आलारकलाम से ( प्रथम गुरु )
- योग का ज्ञान - राजगीर के रुद्रकरामपुत्त से प्राप्त किया।
- वैदिक दर्शन - वृहस्पति गुरु से
- आलारकलाम से उन्होंने शून्य का ज्ञान प्राप्त किया।
ज्ञान प्राप्ति सम्बंधित तथ्य :
- ज्ञान प्राप्त स्थान - उरुवेला में, बोधगया ( बिहार )
- तपस्या - 6 वर्ष की ( बिना अन्न-जल ग्रहण किए )
- ज्ञान प्राप्त आयु - 35 वर्ष ( वैशाख की पूर्णिमा की रात )
- वृक्ष - पीपल वृक्ष ( निरंजना ( फल्गु ) नदी के किनारे )
- ज्ञान-प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ बुद्ध के नाम से जाने गए।
उरुवेला में निम्न पाँच ब्राह्मणों को बुद्ध ने अपना शिष्य बनाया था।
- कौण्डिन्य
- वप्पा
- भादिया
- महानामा
- अस्सागी
उपदेश :
- प्रथम उपदेश - सारनाथ ( ऋषिपतनम् ) में ( उपदेश की भाषा - पालि )
- अंतिम उपदेश - कुशीनारा में ( सुभद्द को दिया था )
- सर्वाधिक उपदेश - श्रावस्ती में ( कोशल देश की राजधानी )
- बुद्ध ने अपने उपदेश कोशल, वैशाली, कौशाम्बी व अन्य राज्यों में दिए
- इनके प्रमुख अनुयायी शासक थे - बिम्बिसार, प्रसेनजित व उदयिन
महात्मा बुद्ध द्वारा दिया गया अंतिम उपदेश क्या था ? - सभी वस्तुएँ क्षरणशील होती हैं, अतः मनुष्य को अपना पथ-प्रदर्शक स्वयं होना चाहिए।
बुद्ध ने सांसारिक दुःखों के सम्बन्ध में चार आर्य सत्यों का उपदेश दिया :
- दुःख
- दुःख समुदाय (अज्ञान ही दुःखों का मूल कारण )
- दुःख निरोध ( दुःखों का नाश )
- दुःख निरोधगामिनी प्रतिपदा ( दुःखों से मुक्ति अष्टांगिक मार्ग )
- इन संसारिक दुःखों से मुक्ति हेतु, बुद्ध ने अष्टांगिक मार्ग की बात कही।
- सम्यक् दृष्टि
- सम्यक् संकल्प
- सम्यक वाणी
- सम्यक् कर्मान्त
- सम्यक आजीव
- सम्यक् व्यायाम्
- सम्यक् स्मृति
- सम्यक् समाधि
बौद्ध संगीति :
- स्थान - समय - अध्यक्ष - शासनकाल
- राजगृह में - 483 BC - महाकश्यप - अजातशत्रु
- वैशाली - 383 BC - सबकामीर - कालाशोक
- पाटलिपुत्र - 251 BC - मोग्गलिपुत्त - अशोक
- कुण्डलवन ( कश्मीर ) प्रथम शताब्दी - वशु मित्र - कनिष्क
चतुर्थ बौद्ध संगीति के बाद बौद्धधर्म दो शाखाओं हीनयान एवं महायान में विभाजित हो गया ।
- महाकश्यप के समर्थक : हीनयान ( थेरवाद )
- वशु मित्र के समर्थक : महायान
- हीनयान का उद्देश्य व्यक्ति विशेष है।, जबकि महायान का लक्ष्य संपूर्ण विश्व है।
- हीनयान अपरिवर्तनशील और नीरस , एक दार्शनिक सिद्धांत है, जबकि महायान एक धर्म है।
बौद्धधर्म के बारे में हमें त्रिपिटक ( विनयपिटक, सूत्रपिटक व अभिधम्मपिटक) से ज्ञान प्राप्त होता है। तीनों पिटकों की भाषा पालि है।
- पिटक - संकलन कर्ता
- सुत्तपिटक - आनंद
- अभिधम्म पिटक - मोग्गलिपुत्त तिस्स ( उत्पत्ति को तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास )
- विनयपिटक - उपालि
- थेरवाद मत की पालि त्रिपिटक सबसे पुराना है।
- बोट पालि त्रिपिटकों को पहली शताब्दी ईसा पूर्व में श्रीलंका के शासक वत्तगामिनी की देख-रेख में पहली बार लिपिबद्ध किया गया।
- सूत्रपिटक के 05 निकाय हैं :
- दीघ निकाय
- मज्झिम निकाय,
- संयुक्त निकाय,
- अंगुत्तर निकाय ( इसमें 16 महाजनपदों का वर्णन मिलता हैं )
- खुद्दक निकाय ( इसमें जातक कथाओ का वर्णन मिलता हैं )
प्रमुख बौद्ध ग्रंथ :
- दीपवंश
- महावंश
- मिलिंदपन्हो
- कथावस्तु ग्रंथ ( हीनयान शाखा से सम्बन्धित ग्रन्थ हैं )
- ये बौद्ध ग्रंथ पाली भाषा में लिखे गए हैं।
बुद्ध के जीवन से संबंधित घटना के नाम :
- गृह त्याग घटना - महाभिनिष्क्रमण
- प्रथम उपदेश - धर्मचक्रप्रवर्तन
- बौद्ध मृत्यु - महापरिनिर्वाण
- ज्ञान प्राप्त घटना - सम्बोधि
- तृष्णा (इच्छा) को क्षीण हो जाने की अवस्था को ही बुद्ध ने निर्वाण कहा है।
बुद्ध के जीवन से संबंधित बौद्ध धर्म के प्रतीक :
- घटना - प्रतीक
- जन्म - कमल एवं सांड
- गृहत्याग - घोड़ा
- ज्ञान - पीपल (बोधि वृक्ष)
- उपदेश - चक्र
- निर्वाण - पद चिह्न
- मृत्यु - स्तूप
बुद्ध के अनुयायी दो भागों में विभाजित थे :
- भिक्षुक : बौद्धधर्म के प्रचार के लिए जिन्होंने संन्यास ग्रहण किया
- उपासक : गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हुए बौद्ध धर्म अपनाने वालें।
बौद्ध धर्म के पंचशील सिद्धांत :
- अहिंसा
- अस्तेय ( चोरी न करना )
- अपरिग्रह ( संपत्ति रहित )
- सत्य
- सभी नशा से विरत
भारत में स्थित महत्वपूर्ण बौद्ध मठ :
- बोधिमंडा मठ - बोधगया, बिहार
- टाबो मठ - तबो गाँव (स्पीति घाटी), हिमाचल प्रदेश
- शासुर मठ - लाहुल स्पीति, हिमाचल प्रदेश
- नामग्याल मठ - धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश
- मिंड्रालिंग मठ - देहरादून, उत्तराखंड
- रूमटेक मठ - गंगटोक, सिक्किम
- तवांग मठ - अरुणाचल प्रदेश
- नामड्रांलिंग / बाइलाकुप्पे मठ - मैसूर, कर्नाटक
- हेमिस मठ - लद्दाख, जम्मू कश्मीर
- थिकसे मठ - लद्दाख, जम्मू कश्मीर
- बौद्ध धर्म शिक्षा के केंद्र : तक्षशिला विश्वविद्यालय , नालंदा विश्वविद्यालय , विक्रमशिला, वल्लभी, मिथिला, उदंतपुरी आदि
- बौद्धधर्म के त्रिरत्न हैं : बुद्ध, धम्म एवं संघ
अन्य परीक्षापयोगी तथ्य :
- धार्मिक जुलूस का प्रारंभ सबसे पहले बौद्धधर्म के द्वारा प्रारंभ किया गया।
- बौद्ध धर्म को अपनाने वाली प्रथम महिला कौन थी? - बुद्ध की माँ प्रजापति गौतमी
- भारत से बाहर बौद्ध धर्म को फैलाने वाले सम्राट कौन थे? - सम्राट अशोक
- सबसे अधिक संख्या में बुद्ध की मूर्तियों का निर्माण किस शैली में किया गया था? - गांधार शैली
- "विश्व दुखों से भरा है" का सिद्धान्त बुद्ध ने कहाँ से से लिया ?- उपनिषद्
- बौद्धसंघ में सम्मिलित होने के लिए न्यूनतम आयु सीमा थी ? - 15 वर्ष
- बौद्धसंघ में प्रविष्टि ( प्रवेश ) होने को कहा जाता था ? - उपसम्पदा
- बौद्ध साहित्य में प्रयुक्त संथागार शब्द का तात्पर्य क्या था? - राज्य संचालन के लिये गठित परिषद
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