यह सिंधु नदी घाटी मे फैली हुई थी इसलिए इसका नाम सिंधु घाटी सभ्यता रखा गया। सिंधु घाटी सभ्यता भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता है।
- सर्वप्रथम इसकी जानकारी देने वाले - चार्ल्स मैसन (1826 में )
- खोजकर्ता - रायबहादुर दयाराम साहनी ( 1921 में )
- सर्वप्रथम हड़प्पा सभ्यता को सिंधु सभ्यता का नाम दिया - जॉन मार्शल ने
- प्रथम अवशेष मिलें - हड्प्पा से (इसलिए इसे हड्प्पा सभ्यता माना गया )
- इसे प्रथम नगरीय क्रांति कहा ? – गार्डेन चाइल्ड ने
सन् 1921 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक सर जॉन मार्शल के निर्देशन में रायबहादुर साहनी ने पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान ) के मोंटगोमरी जिले में रावी नदी के तट पर स्थित हड़प्पा का अन्वेक्षण किया।
समय सीमा :
- सबसे पहले तिथिकाल का निर्धारण किया - जॉन मार्शल (3250 BC- 2750 BC)
- रेडियो कार्बन -14 पद्धति के द्वारा सर्वमान्य तिथि - 2350 BC- 1750 BC मानी गई है।
- सिन्धु सभ्यता युग – कांस्य युग (आद्य ऐतिहासिक) युग का माना गया हैं।
- नगरीय ( शहरी ) सभ्यता
- मातृसत्तात्मक
- मुख्य खादान्न कृषि - गेहूँ और जौ
- मुख्य व्यवसाय – कृषि (लोथल और चन्हुदड़ो में मनका बनाना सबसे महत्वपूर्ण उद्योग था। )
- प्रचलित प्रथा – पर्दाप्रथा व वेश्यावृत्ति
- प्रिय एवं पवित्र पशु - कूबड़ वाला सांड
- समाप्त होने का कारण - बाढ़
- मिठास के लिए शहद का प्रयोग करते थे।
- ये लोग कांसा धातु का अधिक प्रयोग करते थे।
- पूजा करते थे - पशुपति शिव की (इसके अलावा मातृदेवी , पृथ्वी माता की भी ) लेकिन मंदिर के साक्ष्य नही मिले है।
- हड़प्पाकालीन समाज 04 वर्गों में विभक्त था - विद्वान, योद्धा, व्यापारी और श्रमिक
- सर्वप्रथम कपास के उत्पादन का श्रेय सिन्धु सभ्यता के लोगों को ही प्राप्त है। यूनानियों ने इसे ‘सिडोन’ नाम दिया।
- इस सभ्यता के लोग अपने नगरो व घरों के विन्यास के लिए ग्रिड पद्धति पद्धति अपनाते थे ।
- इस सभ्यता में 6 नगर थे (हड़प्पा, मोहनजोदड़ों, कालीबंगा, लोथल, चन्हुदाड़ो और बनवाली)
- घर ईंट के बनाए जाते थे (ईंट काअनुपात > 4:2:1)
- गलियां – चौड़ी और सीधी थी ( चौड़ी 10.5 मीटर)
- हड़प्पावासी भवन निर्माण की सामग्री का आयात अफ़ग़ानिस्तान के बदख़्शान से करते थे।
सिन्धु लिपि सबसे पहले की भावचित्रात्मक लिपि थी, पहली पंक्ति दाएं से बाएं और दूसरी पंक्ति बाएं से दाएं ओर लिखी जाती थी।
कौन से ईंट से क्या बनाया गया :
- कच्ची ईट से - चबूरता,सड़क
- पक्की ईट से - विशाल भवन
- फन्नी दार ईट से - जल निकासी की नलिया
भौगोलिक सीमाएं :
- पूर्व में - आलमगीरपुर (मेरठ, उत्तर प्रदेश)
- पश्चिम - सुत्कागेंडोर (बलूचिस्तान, Pakistan)
- उत्तर - मांडा (अखनूर, जम्मू कश्मीर)
- दक्षिण - दैमाबाद (अहमदनगर, महाराष्ट्र)

- पूर्वी व पश्चिमी बिंदु के बीच की दूरी – 1600 किमी
- उत्तर व दक्षिण बिंदुओ के बीच की दूरी – 1400 किलोमीटर
- जलीय सीमा ? – 1300 किलोमीटर
- कुल क्षेत्रफल - त्रिभुजाकार 1299600 किलोमीटर (13 लाख वर्ग कि. मी.)
- विश्व में कहा तक विस्तृत – पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भारत
- भारत में कहा तक विस्तृत - राजस्थान, गुजरात, जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं महाराष्ट्र तक
- पंजाब में स्थित क्षेत्रों के नाम – रोपड़, संघोल, चकबाड़ा, डेरमजरा, सरायकोला
- कच्छ की खाड़ी में स्थित क्षेत्रों के नाम – सुरकोटडा, धोलावीरा और देसलपुरा
- अफगानिस्तान में स्थित क्षेत्रों के नाम – मुण्डीगाक और शुतुरघुई
- पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित क्षेत्रों के नाम – सोत्काकोह, बालाकोट और सुत्कांगेडोर
प्रमुख स्थल - खोजकर्ता :
- हड़प्पा - दयाराम साहनी (1921 में), माधव स्वरूप वत्स (1926), व्हीलर (1946)
- मोहनजोदडो - रखाल दास बनर्जी (1922),अर्नेस्ट मैके (1927) मार्टिमर व्हीलर (1930)
- चन्हूदडो - अर्नेस्ट मैके (1925), गोपाल मजूमदार (1931)
- लोथल - रंगनाथ राव
- कालीबंगा - अमलानंद घोस (1951), B.B LAL & B.K Thapar (1961)
- रोपड़ - यज्ञ दत्त शर्मा (1953-56 में )
- आलमगीरपुरा - यज्ञ दत्त शर्मा (1958)
- सुत्कांगेंडोर - ओरल स्टाईन (1927)
- कोटदीजी - फजल हमद (1953)
- रंगपुर - फजल हमद (1953)
- सोत्काहा - जार्ज डेल्ट (1962)
- सुरकोटडा - जगपति जोशी (1964 में )
- धोलावीरा -जे. पी. जोशी (1967-68), रबिन्द्र सिंह बिष्ट (1990-91)
- बनवाली - रबिन्द्र सिंह बिष्ट (1974)
- राखीगड़ी - सूरजभान (1963)
क्षेत्रफल के अनुसार स्थल :
- मोहनजोदारो - सबसे बड़ा स्थल
- राखीगड़ी - सबसे बड़ा भारतीय स्थल
नदियों के किनारे बसे नगर :
- मोहनजोदडो - सिन्धु नदी
- चन्हूदडो - सिन्धु नदी
- कोटदीजी - सिन्धु नदी
- हड़प्पा - रावी नदी
- लोथल - भोगवा नदी
- कालीबंगा - घग्घर नदी
- आलममीरपुर - हिण्डन नदी
- रोपड - सतलज नदी
- सुत्कांगेंडोर - दाश्क नदी
- कुणाल - सरस्वती नदी
- बनवाली - सरस्वती नदी के बाएं किनारे पर
- राखीगड़ी - रंगोई नदी के किनारे , सूख गई सरस्वती नदी के बाएं किनारे पर बसा था।
- रंगपुर -मदार नदी
- धोलावीरा - लूनी नदी
- सोत्काहा - शादीकोर नदी
प्रमुख स्थल और उनकी विशेषता
हड़प्पा : पंजाब में (ज़िला साहीवाल ,पाकिस्तान )
साक्ष्य :
- हाथी का कपाल, श्रमिक आवास
- सबसे पहले चाँदी के साक्ष्य मिले.
- सबसे पहले धातु से बने सिक्के हड़प्पा सभ्यता में मिले.
- कब्रिस्तान R-37 का साक्ष्य हड़प्पा से प्राप्त हुआ है।
- खुदाई में टीले (नगर) मिले हैं ? – दो (पूर्वी व पश्चिमी टीला)
- पश्चिम दुर्ग -ऊँचाई पर स्थित थे जिनमे उच्च वर्ग के लोग निवास करते थे।
- पूर्वी दुर्ग - निचला नगर जिनमे सामान्य लोग निवास करते थे।
विशेष :
- प्रमुख खेल - शतरंज, पाशा
- हड़प्पा को मेसोपोटामिया का उपनिवेश किसने कहा था? - हिल्लर ने
- हड़प्पा मुहरों पर सर्वाधिक एक श्रृंगी पशु का अंकन मिलता है।
- हड़प्पा सैंधव सभ्यता का अर्द्ध औद्योगिक नगर कहा जाता है।
- हड़प्पावासी तौल में किस प्रकार से व्यवहार करते थे? - 16 या उसके आर्वतों का
- हड़प्पा काल की मुद्राओं के निर्माण में मुख्य रूप से टैराकोटा का उपयोग किया गया था।
मोहनजोदड़ : सिंध में (ज़िला लरकाना,पाकिस्तान )
साक्ष्य :
- वृहत स्नानगार, पशुपति शिव की मुहर ,
- नर्तकी की कांस्य मूर्ति, घरों के अवशेष व
- पुजारी का भवन, कपास के साक्ष्य प्राप्त हुए
- मोहनजोदड़ो से प्राप्त सबसे बड़ी इमारत कौन सी है? - अन्नागार (Great Granary)
विशेष :
- मोहनजोदड़ो का अर्थ - मृतकों का टीला
- मोहनजोदड़ो को सिंध का बाग कहा जाता हैं
- सिंधु सभ्यता में मोहनजोदड़ो सबसे प्राचीन हैं।
- मोहनजोदड़ों सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा शहर हैं।
- हड़प्पा व मोहनजोदड़ो को सिंधु सभ्यता की जुड़वाँ राजधानी किसने कहा ? – पिग्गट ने
कोटदीजी : सिंध में (ज़िला खैरपुर, पाकिस्तान )
चन्हूदड़ो : सिंध में (ज़िला नवाब शाह, पाकिस्तान)
साक्ष्य :
- एक ईंट पर बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते के पंजो के निशान मिले
- वक्राकर ईंटें मिली हैं।
विशेष : चन्हूदड़ो को सिंधु सभ्यता का औद्योगिक शहर कहा जाता था।
सुतकांगेडोर : बलूचिस्तान
साक्ष्य : प्रकृतिक चट्टान के अवशेष
लोथल : अहमदाबाद (गुजरात)
साक्ष्य :
- हाथी का दांत ,पैमाना / तराजु ,
- गोदीबाड़ा , युगल सवधान सती प्रथा के साक्ष्य प्राप्त हुए ,
- चावल के प्रथम साक्ष्य लोथल से प्राप्त हुए हैं।
विशेष :
- यह सिंधु सभ्यता का पत्तन नगर (बंदरगाह) था।
रंगपुर: काठियावाड़ (गुजरात)
- साक्ष्य : धान की भूसी मिली हैं।
सुरकोटडा : रापर तालुका में (ज़िला कच्छ ,गुजरात )
साक्ष्य :
- घोड़े के अवशेष मिले
- कलश में दफनाए गए शव
धोलावीरा : खदर द्वीप पर (ज़िला कच्छ ,गुजरात )
साक्ष्य :
- यहाँ से (नगर) टीले 03 प्रकार के थे : दुर्ग, मध्य नगर, निचला नगर
- यहाँ सभी मकान कच्ची ईट के बने थे।
- उन्नत जल-प्रबंधन प्रणाली प्रमाण मिले हैं।
- हड़प्पा संस्कृति के सदंर्भ में शैलकृत स्थापत्य के प्रमाण मिले हैं।
विशेष : शाब्दिक अर्थ - सफेद कुआँ।
रोपड़ : रोपड़ (पंजाब)
साक्ष्य :
- आदमी के साथ कुत्ते को दफनाया गया है।
- यहाँ पर हड़प्पा पूर्व एवं हड़प्पाकालीन संस्कृतियो के अवशेष मिले है।
बनावली : हिसार (हरियाणा )
साक्ष्य :
- यहां से एक मकान से धावन पात्र (wash basin) लगा हुआ मिला है।
- हल, सिक्के,पशु मूर्ति मिले हैं।- टेराकोटा से बने हुवे.
- तांबा मछली-हुक, जले हुए जौ के दाने, अच्छे किस्म के जौ, सरसों, और तिल मिले हैं।
विशेष :
- सड़के टेडी मेडी थी,
- नाली नहीं थी।
राखीगड़ी : हिसार ( हरियाणा )
साक्ष्य : मातृदेेवी अंकित एक लघु मुद्रा प्राप्त हुई।
कालीबंगा : हनुमानगढ़ (राजस्थान)
साक्ष्य :
- काले रंग की चूड़ियां,
- यज्ञ कर्मकांड मिले,
- सर्वप्रथम जोता हुआ खेत के साक्ष्य प्राप्त हुए ।
दैमाबाद : अहमदनगर (महाराष्ट्र)
साक्ष्य : तांबे का रथ मिला
Important Q :
- हड़प्पा के मिट्टी के बर्तनों पर सामान्यतः किस रंग का उपयोग हुआ था? - लाल
- भारत में सिंधु सभ्यता के सर्वाधिक स्थल कहां खोजे गए? – गुजरात
- सिंधु सभ्यता के प्रमुख बंदरगाह कोन सा था? – लोथल व सुतकोटदा
- सिन्धु घाटी सभ्यता में कितनी राजधानियां थीं? – दो (हड़प्पा और मोहनजोदड़ों)
- कुछ विद्वान सिंधु सभ्यता की तीसरी राजधानी किसकोमानते हैं। - कालीबंगा को
- क्या सिंधु सभ्यता के लोगों को लोहे की जानकारी थी? – नहीं
- हड़प्पा सभ्यता किस सभ्यता की 20 गुना थी? – मिस्र की सभ्यता
- विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता कौन सी है? - सुमेरियन सभ्यता
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