वैदिक सभ्यता
सिंधु घाटी सभ्यता के बाद वैदिक सभ्यता का विकास हुआ। इस काल की जानकारी हमे मुख्यत:वेदों से प्राप्त होती है।
- वैदिक सभ्यता के संस्थापक - आर्य लोग माने जाते है।
- आर्य शब्द का अर्थ है - श्रेष्ट या कुलीन
वैदिक सभ्यता (1500 BC - 600 BC) का विभाजन दो भागों में किया गया है :
- ऋग्वैदिक काल (1500 BC-1000 BC)
- उत्तर वैदिक काल (1000 BC- 600 BC )
01. ऋग्वैदिक काल :
- ऋग्वेद से हमें इस काल की जानकारी प्राप्त होती है।
- चारों वर्ण ( ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र ) व्यवसाय के आधार पर निर्धारित किये गये थे।
- बाल विवाह, पर्दा प्रथा, छुवाछुत ,जातिप्रथा ये सब नही थे।
02. उत्तर वैदिक काल :
- यजुर्वेद, सामवेद ,अथर्ववेद तीनो से हमें इस काल की जानकारी प्राप्त होती है।
- चारों वर्ण ( ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र ) जाति के आधार पर निर्धारित किये गये थे।
- इस काल में निष्क, शतमान आभूषण थे (निष्क गले में पहना जाता था )
आर्यों का निवास स्थान :
इनके मूल निवास स्थान को लेकर विद्वानों में मतभेद हैं, प्रमुख विद्वानों के अनुसार इनका मूल स्थान :
- विद्वान - आर्यों का मूल निवास स्थान
- प्रो. मैक्समूलर - मध्य एशिया ( सर्वमान्य )
- बाल गंगाधर तिलक - उत्तरी ध्रुव
- दयानंद सरस्वती - तिब्बत
- डॉ अविनाश चंद्र दास - सप्त सैधव प्रदेश
- गंगा नाथ झा - ब्रह्मर्षिदेश
- नेहरिंग - दक्षिण रूस
- गाइल्स महोदय - डेन्यूब नदी घाटी
- प्रो. पेन्का - जर्मनी के मैदानी भाग
- आर्य सर्वप्रथम भारत के पंजाब और अफगानिस्तान में बसे थे।
आर्यों की सामाजिक विशेषताएं :
- आर्यों की भाषा - संस्कृत
- सभ्यता - ग्रामीण थी
- प्रिय देवता - इंद्र ( उत्तर वैदिक काल में - प्रजापति )
- पवित्र पशु - गाय
- प्रिय पशु - अश्व
- पेय पदार्थ - सोमरस
- आर्य 03 प्रकार के वस्त्र पहनते थे - वास, अधिवास, उष्णिव
- अन्दर पहनने वाले वस्त्र को निवि कहते थे।
- व्यवसाय - पशुपालन
- मृदभांड - 'चित्रित धूसर' (मिट्टी केे स्लेटी रंग के बर्तनों पर काले रंग से डिजाइन)
- ये शाकाहारी और मांसाहारी दोनों थे।
आर्यों की प्रशासनिक इकाई इन पांच भागों में बंटी थी :
- प्रशासनिक ईकाई - प्रधान
- कुल / परिवार - कुलप / गृहपति / पिता
- ग्राम - ग्रामणी
- विश - विशपति
- जन - जनपति
- गण / राष्ट्र - गणपति / ज्येष्ठ / राजा (जनता द्वारा चयनित)
इस युग के चारों दिशाओं के राजाओं के नाम :
- पूर्व - सम्राट
- पश्चिम - स्वराष्ट
- उत्तर - विराट
- दक्षिण - भोज
- (इनके मध्य में - राजा )
ऋग्वैदिक कालीन प्राचीन नाम - आधुनिक नाम :
- अघ्न्या (गाय को कभी मत मार) - गाय
- बृक - बैल
- धन्व - मरुस्थल
- पारावत - सुमुद्र
- यव - जौ (पौधा)
- उर्वरा - जूते हुए खेत
- करीष - गोबर की खाद
- अवत - कुआँ
- कीवाश - हलवाह
- पर्जन्य - बादल
- लांगल - हल
ऋग्वैदिक कालीन नदियाँ :
- प्राचीन नाम - आधुनिक नाम
- परूषणी नदी- रावी नदी
- आस्किनी - चिनाब
- शतुद्रि - सतलज
- वितस्ता - झेलम
- सदानीरा - गंडक नदी
- गोमल - गोमती
- विपाशा - व्यास
- कुंभा - काबुल
- दषद्वती नदी - घग्घर नदी
- सुवस्तु - स्वात्
अन्य परीक्षापयोगी तथ्य :
- आर्यों द्वारा खोजी गई धातु - लोहा (आर्य लोहे को श्याम अयस् कहते थे)
- आर्य लोग ताम्बा को क्या कहा गया - लोहित अयस
- सुत, कामादि, रथकार अधिकारी थे जिनको क्या कहते थे ? - रत्नी
- अपराधी को पकड़ने वाले को क्या कहते थे? - उग्र
- गोचर भूमि के अधिकारी को क्या कहा जाता था ? - वाजपति
- स्पश, पुरप को क्या कहते थे? - गुप्तचर
- जीवन भर अविवाहित रहे वाली महिला को क्या कहते थे - अमाजू
- प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में 'उत्तरी भारत' को आर्यावर्त ( शाब्दिक अर्थ : आर्यों का निवासस्थान) कहा गया है।
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