भारत पर विदेशी आक्रमण
मौर्य वंश से पहले आक्रमण :
- ईरानी
- यूनानी ( सिकंदर )
मौर्योत्तर काल में आक्रमण :
- हिन्द -यूनानी
- शक
- पहलव
- कुषाण
पर्शिया / ईरान / फ़ारस आक्रमण
हखमनी वंश ने भारत पर पहला विदेशी आक्रमण किया।
- असफल आक्रमण - साइरस द्वितीय
- सफल आक्रमण - दारा प्रथम / डेरियस प्रथम / डायरवहु
डेरियस प्रथम :
- इसने गांधार और कम्बोज ( पश्चिमोत्तर क्षेत्र ) को जीतकर अपने साम्राज्य में मिला लिया। ( 516BC ) आक्रमण के बाद उसने सिंधु नदी के तटीय भारतीय भू-भाग पर अपना अधिकार जमाया था।
- हेरोडोटस कहता है कि भारत का पश्चिमोत्तर क्षेत्र दारा के साम्राज्य का 20वां प्रान्त था। इस क्षेत्र से इसे 360 टैलेन्ट सोना भेट में मिलता।
- उसका नौसेनाध्यक्ष स्काईलैक्स था।
- हखमनी वंश के अंतिम शासक - डेरियस तृतीय
- भारत और ईरान का 200 सालो तक संपर्क रहा इससे व्यापार को बढ़ावा मिला।
इसकी जानकारी कहाँ से मिली हैं :
- बेहिस्तून अभिलेख,
- पर्सिपोलिस अभिलेख और
- नक्शेरुस्तम अभिलेख से
यूनानी / ग्रीक आक्रमण
सिकंदर मकदूनिया / मैसेडोनिया के शासक ने धनानंद के शासनकाल के दौरान भारत पर आक्रमण करने वाले प्रथम यूनानी था।
- सिकंदर 20 वर्ष की आयु में मकदूनिया का शासक बनता है।
- अन्य नाम - अलेक्जेंडर द ग्रेट
- जन्म - 356 ई. पू.
- मृत्यु - 323 ई. पूर्व. ( बेबीलोन ( ईरान )में 33 वर्ष की अवस्था में हो गयी। )
- पत्नी - रोक्साना
- पिता - फिलिप
- पसंदीदा पुस्तक - इलियड ( लेखक - होमर )
- सिकन्दर गुरू का नाम - अरस्तू का गुरू - प्लेटो का गुरू - सुकरात के
- प्रिय घोड़ा - बऊकेफला ( इसी के नाम पर इसने झेलम नदी के तट पर बऊकेफला नामक नगर, और निकैया नगर बसाया ।)
- भारत आया - 326 ई. पू. ( वापस गया - 325 ई. पू. )
- सेल्यूकस निकेटर ( सेनापति )
- निर्याकस ( जल-सेनापति )
- लेखक - आनेसिक्रिटस, अरिस्टोब्यूलस
- सिकंदर भारत में कुल 19 माह तक रहा ,उसके बाद सिकन्दर की सेना ने व्यास नदी के पश्चिमी तट पर पहुँचकर उसे पार करने से इन्कार कर दिया तो वह अपने विजित क्षेत्रों को पोरस ,अपने सेनापति को सौंप कर स्थल मार्ग से 325 ईo पूo वापस चला गया।
सिकन्दर के प्रमुख युद्ध :
- अर्बेला का संग्राम / गौगेमेला का युद्ध 331 BC - यूनान के सम्राट सिकंदर व ईरान के हख़ामनी साम्राज्य के राजा दारा तृतीय ( डेरियस तृतीय ) के बीच लड़ा गया। विजय हुवा - सिकन्दर
- हाइडेस्पेस का युद्ध / झेलम / वितस्ता का युद्ध 326 BC - बल्ख / बैक्ट्रिया ( अफगानिस्तान में ) को जीतकर काबुल होता हुआ खैबर दर्रे ( हिन्दुकुश पर्वत ) को पार कर भारत आया। पंजाब के शासक पुरु / पोरस के साथ युद्ध किया। विजय हुवा - सिकन्दर
- तक्षशिला के शासक आम्भी ने सिकंदर के समक्ष आत्मसमर्पण कर उसका सहयोग भी किया।
हिन्द -यवन / बैक्ट्रिया / इंडो – ग्रीक आक्रमण
बैक्ट्रिया पर इन राजाओं ने क्रमशः शासन किया :
- डियोडोट्स प्रथम
- डियोडोट्स-II
- यूथिडेमस्
- डेमेट्रियस
- मिनान्डर
- यूक्रेटाइड्स
- एण्टी आलकीडस
- हर्मिक्स ( अंतिम शासक )
- डेमेट्रियस ने सिकंदर के बाद पुष्यमित्र शुंग के समय में भारत पर आक्रमण किया।
- डेमेट्रियस शाखा ( बैक्ट्रिया से भारत आये )
- यूक्रेटाइड्स शाखा
डेमेट्रियस वंश :
- राजधानी - शाकल ( आधुनिक सियालकोट ) { शिक्षा का प्रमुख केन्द्र था । }
- प्रमुख शासक :
- डेमेट्रियस ( इस वंश का संस्थापक )
- मिनान्डर ( सबसे प्रतापी शासक )
- अपोलोडोटस,
- अगाथोक्लीज
डेमेट्रियस :
- डेमेट्रियस
- इसने 183 ईo पूo हिन्दुकुश क्षेत्र को पार कर सिंध व पंजाब को जीत लिया।
- राजधानी - साकल (स्यालकोट)
- इसने यूनानी और खरोष्ठी दोनों लिपियों के सिक्के चलाये और भारतीयों के राजा की उपाधि धारण की।
अपोलोडोटस :
- बड़ा भाई - डेमेट्रियस
- इन्होनें कृष्ण और बलराम की आकृति वाले सिक्के जारी किये।
मिनान्डर (165-145 BC ):
- अन्य नाम / उपाधि - मिनाद्र , मिलिंडा, हामिकश , सोटर
- धर्म - बौद्ध धर्म ( नागसेन ( नागार्जुन ) से की दीक्षा ली। )
- मिनान्डर के प्रश्न एवं नागसेन द्वारा दिए गए उत्तर बौद्ध ग्रंथ मिलिन्दपन्हो अर्थात् मिलिंद के प्रश्न या 'मिलिन्दप्रश्न' में संगृहीत हैं।
- सर्वप्रथम इंडो ग्रीक शासक मिनान्डर ने ही लेख वाले स्वर्ण सिक्के जारी किये।
- कौन से यूनानी शासक ने भारत में आकर बौद्ध धर्म अपना लिया था - मिनान्डर
यूक्रेटाइड्स वंश :
- राजधानी - तक्षशिला
- प्रमुख शासक :
- यूक्रेटाइड्स ( इस वंश का संस्थापक )
- एन्तियालकीडस ( सबसे प्रतापी शासक )
- इसने भारत के कुछ हिस्सों को जीता ।
एण्टीयालकीडस :
- एण्टीयालकीडस ने हेलियोडोरस को शुंग शासक भागभद्र के दरबार में भेजा था
- हेलियोडोरस ने विदिशा में एक गरूड़ स्तम्भ स्थापित किया।
- कौन से यूनानी शासक ने भारत में आकर भागवत धर्म अपना लिया था - हेलियोडोरस
- कैलेंडर में सप्ताह का प्रयोग
- सिक्के बनाने के कलां
- पर्दाप्रथा
- ज्योतिशास्त्र में - राशिया, नक्शत्र देखकर भविस्य बताने की कलां को भारतीयों ने सीखा
शक आक्रमण
यूनानियों के बाद मध्य एशिया के शकों ने भारत पर आक्रमण किया । शक मूलतः मध्य एशिया के निवासी थे और चरागाह की खोज में भारत आए।
- शक राजाओं को क्षत्रप कहा जाता था।
- यह भारत में आकर 5 जगहों ( पाँच शाखा ) में बसे थे :
- शाखा की राजधानी :
- कांधार
- तक्षशिला
- मथुरा,
- उज्जैन { पश्चिमी भारत ( सबसे लम्बे अरसे तक शासन ) }
- नासिक - { ऊपरी दक्कन }
- प्रथम शक राजा मोअ था।
- अंतिम शासक - रुद्रसिंह तृतीय था जिसे गुप्त शासक चंद्रगुप्त द्वितीय ने पराजित कर दिया और विक्रमादित्य की उपाधि धारण की ।
तक्षशिला के शासक :
- इस शाखा के शासक एजेलिसेज ने सिक्कों पर भारतीय देवी लक्ष्मी का चित्र अंकित है।
मथुरा के शासक :
- 58 ईसा पूर्व में उज्जैन के एक स्थानीय राजा ने शकों को पराजित करके बाहर खदेड़ दिया और विक्रमादित्य की उपाधि धारण की। शकों पर विजय के उपलक्ष्य में 58 ईसा पूर्व से एक नया संवत् विक्रम संवत् के नाम से प्रारंभ हुआ।
- उसी समय से 'विक्रमादित्य' एक लोकप्रिय उपाधि बन गयी।
उज्जैन के शासक :
- सबसे प्रतापी शक शासक उज्जैन का रुद्रदामन था
- रुद्रदामन की उपलब्धियों का वर्णन गुजरात के जूनागढ़ अभिलेख ( गुजरात )से मिला है।
- गुजरात में चल रहे समुद्री व्यापार से यह शाखा काफी लाभान्वित हुई और भारी संख्या में चाँदी के सिक्के जारी किए।
नासिक के शासक :
- इस शाखा का सबसे प्रसिद्ध शासक नहपान था।
- नहपान ने सातवाहनों से महाराष्ट्र में एक बड़ा भू-भाग छीना था। परंतु सातवाहन शासक गौतमीपुत्र शातकर्णि ने इसे पराजित कर दिया था जिसका प्रमाण हमें नासिक के "जोगलथंबी" से मिले सिक्कों से पता चला है।
पहलव वंश
पहलव ईरान से मध्य एशिया में आए थे।
- भारत में इस वंश का प्रथम शासक - मिथ्रीडेट्स
गोण्डोफर्नीज :
- सबसे महत्वपूर्ण शासक गोण्डोफर्नीज (Gondophernes) हुआ।
- गोण्डोफर्नीज ने तक्षशिला को अपनी राजधानी बनाई ।
- जानकारी प्राप्त हुआ - तख्त-ए-बही अभिलेख ( पेशावर जिले ) से
- इसी के शासनकाल में पहला ईसाई धर्म प्रचारक सेंट थॉमस भारत आया था।
कुषाण वंश
मध्य एशिया में पश्चिमी चीन के यूची जाति के थे। लगभग 165 ई. पू. में पश्चिम चीन से खदेड़े जाने के बाद उनकी एक शाखा अफगानिस्तान ( बैक्ट्रिया ) चली गई, जबकि दूसरी शाखा तिब्बत आ गई।
- इसी दूसरी शाखा ने भारत पर आक्रमण किया।
कुषाण वंश के शासक :
- कुजुल कैडफिसस ( संस्थापक )
- विम कैडफिसस ( वास्तविक संस्थापक )
- कनिष्क
- वासुदेव ( अंतिम शासक )
विम कैडफिसस :
- धर्म - शैव
- इसने भारत के गांधार, पंजाब व मथुरा क्षेत्रों पर आक्रमण करके उसे अपने अधिकार में लिया।
- इसने तांबे के मुद्रा में एक तरफ शिव, नंदी व त्रिशूल तथा दूसरी तरफ महेश्वरा शब्द अंकित करवाया था।
कनिष्क :
- राज्याभिषेक - 78 ई. में ( इसी उपलक्ष्य में कनिष्क द्वारा शक संवत् का आरंभ हुआ। )
- गड्डी से बैठने से पहले तक्षशिला का गेवर्नर था।
- राजधानी - पुरूषपुर ( पेशावर ) , मथुरा
- धर्म - बौद्ध धर्म की महायान शाखा का अनुयायी
- कनिष्क के दरबार के विद्वान - अश्वघोष, नागार्जुन, चरक , पाश्र्व, वसुमित्र,
- कनिष्क के राजकवि अश्वघोष ने "बुद्धचरित' लिखा
- नागार्जुन ने "शून्यवाद दर्शन" का प्रतिपादन किया इन्हें भारत का आइंस्टीन भी कहा जाता है
- वसुमित्र ने "महाविभाषाशास्त्र' नामक ग्रंथ की रचना की
- चरक एक आयुर्वेदाचार्य थे इन्होंने चरक संहिता नामक चिकित्सा ग्रंथ की रचना की
- कनिष्क के समय कश्मीर के कुण्डलवन में चौथी बौद्ध संगीति हुई थी। इसी के समय बौद्ध धर्म हीनयान एवं महायान शाखा में बंट गया था।
- कनिष्क ने के समय में मथुरा कला एवं गांधार कला का जन्म हुआ।
- कनिष्क ने सर्वाधिक शुद्ध सोने के सिक्के जारी किये, क्योंकि उस समय हिंदूकुश पर्वत के पास सोने की खानों का पता चला था।
- कौन से कुषाण वंश ने बौद्ध धर्म अपना लिया था - कनिष्क
रेशम मार्ग (Silk route) :
- यह चीन के रेशम व्यापार को यूरोप, ईरान तथा मध्य एशिया से जोड़ता था।
- इसका दक्षिणी मार्ग हिंद महासागर से गुजरता था तथा उत्तरी मार्ग कश्मीर तथा हिंदूकुश पर्वत को पार करके गुजरता था।
- कनिष्क ने रेशम मार्ग पर अधिकार कर लिया था तथा रेशम मार्ग के होने वाले व्यापार पर कनिष्क कर वसूलता था।
- इसी वंश के सामंतों ने आगे चलकर गुप्त वंश की स्थापना कर दी।
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