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सातवाहन राजवंश

सातवाहन वंश ( आन्ध्र वंश )
  • संस्थापक - शिमुक ( 60 ई. पू. )
  • राजधानी (02) :
    • प्रतिष्ठान { ( गोदावरी नदी के किनारे ) ( महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में ) }
    • धरणीकोटा / धान्यकटकम { आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में कृष्णा नदी के तट पर }
  • धर्म - ब्राह्मण
  • राजकीय भाषा - प्राकृत एवं लिपि ब्राह्मी
  • समाज व्यवस्था - पितृसत्तात्मक
सातवाहन वंश के प्रमुख शासक :
  • शिमुक, 
  • शातकर्णी I ( शिमुक का पुत्र )
  • शालिवाहन 
  • गौतमीपुत्र शातकर्णी ( 23वें शासक )
  • वशिष्ठीपुत्र पुलवामी ( गौतमीपुत्र शातकर्णी का पुत्र )
  • पुलुमावी
  • यज्ञ श्री शातकर्णी ( इन्होने जलयान चित्र वाले सिक्के जरी करवाए )
  • विजया सतकर्णी { सतवाहन वंश का अंतिम शासक था।}
सातवाहन / हिन्दू राजवंश की जानकारी ( साक्ष्य ) हमें कहाँ से मिलती है?
  • शातकर्णी I की महारानी नागनिका का नानाघाट अभिलेख से : ( पुणे में है )
    •  भूमिदान का सर्वप्राचीन पुरालेखीय प्रमाण
    • अश्वमेध यज्ञ में एक गाँव देने का उल्लेख है ।
    • शातकर्णी की विजय गाथा विवरणचित्र मिलता है
  • कातंत्र व्याकरण, बृहत कथा से ( क्रमशः सर्ववर्मन , गुणाढ्य की रचना है जो शालिवाहन के दरबार में रहने वाले विद्वान् थे ।
  • हाथी गुम्फा अभिलेख ( भुवनेश्वर, उड़ीसा ) 
  • वायुपुराण से
शातकर्णी I
  • राजधानी बनायीं - अमरावती
  • रानी का नाम - नागनिका 
  • उपाधि - दक्षिणापथ पति
  • शातकर्णी ने दो अवश्मेध तथा एक राजसूय यज्ञ किया।
  • शातकर्णी  शासक दक्षिणपथ के भगवान कहे जाते थे।
  • इसके शासन में ब्राह्मण को दान देने का चलन था।
  • शातकर्णी का नाम साँची स्तूप के एक द्वार पर अंकित है।
शालिवाहन / हाल :
  • ये संस्कृत के विद्वान् थे ।
  • इन्होने गाथासप्तशती की रचना की , प्राकृत भाषा में ।
गौतमीपुत्र शातकर्णी :
  • सातवाहन वंश का - पुनः संस्थापक ( इन्होने सातवाहन वंश की सिमा का सबसे ज्यादा विस्तार करवाया। )
  • उपाधि - त्रिसमुद्रतोय पीठवाहन, एका ब्राह्मण,अद्वितीय , वेणकटक स्वामी ,राजाराज , विंध्यनरेश
  • इसने शक शासक नहपान को हराया था। 
  • गौतमी पुत्र के समय तथा उसकी विजयों के बारें में हमें नासिक शिलालेखों से सम्पूर्ण जानकारी मिलती है।
वशिष्ठीपुत्र पुलवामी :
  • पुत्र - शिवश्री ( शिवश्री का विवाह रुद्रदामन की पुत्री के साथ हुवा था )
  • वशिष्ठीपुत्र पुलवामी और रुद्रदामन ( उज्जैन के क्षत्रप ) के बीच दो बार युद्ध हुआ ,रुद्रदामन ने इनको हराया। 
  1. सातवाहन राज्य ने उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सेतु का काम किया।
  2. सातवाहन ने सीसा ( सर्वप्रथम प्रचलन )चाँदी, ताँबे, , पोटीन और काँसे की मुद्राओं का प्रचलन किया।
  3. सातवाहन अपना सिक्का ढालने में जिस सीसे का इस्तेमाल करते थे, उसे रोम से मंगाया जाता था।
  4. ब्राह्मणों को भूमि अनुदान देने की प्रथा का आरंभ सातवाहन शासकों ने ही सर्वप्रथम किया। 
  5. सातवाहन शासकों ने ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासन का काम गौल्मिक को सौंपा। गौल्मिक एक सैनिक टुकड़ी का प्रधान होता था जिसमें नौ रथ, नौ हाथी, पच्चीस घोड़े और पैंतालीस पैदल सैनिक होते थे । 

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