इस वंश जानकारी के साक्ष्य कहाँ-कहाँ से मिले हैं :
साहित्यिक स्त्रोत
- जैन और बौद्ध ग्रंथ
- अर्थशास्त्र ( लेखक - चाणक्य )
- इंडिका ( यूनानी लेखक - मेगस्थनीज )
- मुद्राराक्षस ( लेखक - विशाखदत्त )
पुरातात्विक स्त्रोत
- अशोक के अभिलेख
- जूनागढ़ अभिलेख
- रुद्रदामन का जूनागढ़ ( गिरनार ) अभिलेख संस्कृत का पहला अभिलेख है। सुदर्शन झील का सर्वप्रथम उल्लेख इसी अभिलेख में मिलता है। इस झील का निर्माण चंद्रगुप्त मौर्य के राज्यपाल पुष्यगुप्त ने कराया था।
मौर्य वंश साम्राज्य का विस्तार :
- उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में मैसूर
- पूर्व में बंगाल से लेकर उत्तर पश्चिम में हिंदुकुश पर्वत
- पश्चिम में अरब सागर तक
मौर्य वंश में कुल 10 राजा हुए :
- चन्द्रगुप्त मौर्य { मौर्य राजवंश के संस्थापक }
- बिन्दुसार
- सम्राट अशोक महान
- कुणाल
- दशरथ
- सम्प्रति
- शालिसुक
- देववर्मन
- शतधन्वन
- बृहद्रथ { मौर्य राजवंश के अंतिम राजा }
चन्द्रगुप्त मौर्य :
- शासन काल - 323 ई.पू. से 298 ई.पू.
- अन्य नाम : भारत का मुक्तिदाता, { यूनानी प्लूटार्क द्वारा - एंड्रोकोट्स , जस्टिन द्वारा- सैंड्रोकोट्स (1793 में सर विलियम जोन्स ने पुष्टी की कि यह नाम चंद्रगुप्त मौर्य के हैं ) }
- पत्नी ( 02 ) - दुर्धरा ( घनानंद की पुत्री ) , हेलन कार्नेलिया ( सेल्यूकस निकेटर की पुत्री )
- पुत्र - बिन्दुसार
- जैन गुरु भद्रबाहु से प्रभावित होकर चंद्रगुप्त मौर्य ने अंतिम समय में जैन धर्म अपना लिया।
- चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा पराजित सेल्यूकस निकेटर ने चार प्रांत - काबुल, कंधार, हेरात और मकरान चंद्रगुप्त मौर्य को दे दिए।
- चंद्रगुप्त मौर्य ने भी 500 हाथी सेल्यूकस निकेटर को भेंट किए।
- सेल्यूकस निकेटर ने अपना राजदूत मेगस्थनीज को चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा था।
- निधन - 298 BC ( कर्नाटक में श्रवणबेलगोला में ) सलेंखना ( उपवास ) विधि द्वारा प्राण त्याग दिए।
- यूनानी इतिहासकारों के अनुसार चन्द्रगुप्त की सेना में 6 लाख पैदल, 30 हजार अश्वारोही, 9 हजार गज सेना, 8 हजार रथ सेना थी।
- इनके प्रधानमंत्री - चाणक्य { अन्य नाम - विष्णुगुप्त / कौटिल्य / भारतीय मैकियावेली }
बिन्दुसार :
- शासन काल - 298 ई.पू. से 272 ई.पू
- अन्य नाम - अमित्रघात / सिंहसेन्, / मद्रसार / अजातशत्रु वरिसार
- माता - दुर्धरा
- पत्नी - चारूमित्रा,सुभद्रांगी
- पुत्र - सुषीम, अशोक,तिष्य
- बिंदुसार आजीवक संप्रदाय का अनुयायी था।
- सीरिया के शासक एण्टियोकस-I ने अपना राजदूत डाइमेक्स को बिंदुसार के दरबार में भेजा था, बिंदुसार ने सीरिया के नरेश से अंजीर, मीठी शराब तथा यूनानी दार्शनिक की मांग की थी।
- मिस्र के राजा टॉलमी द्वितीय फिलाडेल्फस ने बिन्दुसार के राजदरबार में डायोनीसियस नामक राजदूत भेजा था।
- बिंदुसार के समय तक्षशिला में विद्रोह हो गया, उस समय तक्षशिला का राजकुमार बिंदुसार का बड़ा बेटा सुशीम था वह विद्रोह को दबाने में असफल रहा, तब बिंदुसार ने अपने छोटे पुत्र अशोक जो उस समय अवन्ति का राज्यपाल था उसे विद्रोह को दबाने के लिए भेजा, अशोक ने बड़े ही क्रूरता पूर्वक विद्रोह को दबा दिया।
- बिंदुसार की मृत्यु के बाद अशोक मगध के सिंहासन पर बैठा
सम्राट अशोक महान :
- शासन काल - 269 ई.पू. से 232 ई.पू.
- अन्य नाम - देवनाम प्रियदर्शी ( देवताओं का पसंद )
- जन्म - 304 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र में
- पत्नी - देवी, पद्मावती, कारुवाकी, तिष्यरक्षिता, असंधिमित्रा
- माता - सुभद्रांगी
- देवी से- पुत्र महेन्द्र, पुत्री संघमित्रा और पुत्री चारुमती,
- कारुवाकी से - पुत्र तीवर
- पद्मावती से - पुत्र कुणाल ( धर्मविवर्धन ) ,
- अन्य
- निधन - 232 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र में ( पटना )
- बौद्ध ग्रंथों के अनुसार अशोक ने राजा बनने के लिए अपने 99 भाइयों की हत्या कर दी थी।
कलिंग युद्ध ( ओडिशा ):
- युद्ध - दया नदी के तट पर लड़ा गया
- राज्याभिषेक 269 ई.पू. से 8वें वर्ष पश्चात 261 ईसा पूर्व में अशोक ने कलिंग पर आक्रमण कर दिया और कलिंग को जीत लिया पर कलिंग में हुए भीषण नरसंहार को देखकर अशोक का हृदय परिवर्तित हो गया।
- कलिंग युद्ध के बाद, अशोक ने धम्म नीति ( अहिंसा की नीति ) को अपनाया।
- इसके बाद अशोक ने निग्रोध उपदेश सुनकर बौद्ध धर्म अपना लिया ।
- बौद्ध धर्म की शिक्षा अशोक को उपगुप्त ने दी थी।
- बेटे महेंद्र एवं बेटी संघामित्रा ( अशोक ने बोद्ध धर्म के प्रचार के लिए इनको श्रीलंका भेजा था। )
अशोक के अभिलेख / शिलालेख :
अशोक के 14 शिलालेख, 07 स्तंभ लेख ( भारत में ) , 03 गुहा लेख , गुफाओं आदि का निर्माण द्वारा कराया गया है।
- 01- इसमें अहिंसा पर बल दिया गया है और पशुबली की निंदा की गई है।
- 02- इसमें मनुष्य के साथ पशु चिकित्सा की भी चर्चा है।
- 03- इसमें अशोक ने 3 अधिकारी राजुक, युक्तक तथा प्रदेशक का चर्चा किया है। जो धम्म के प्रचार के लिए थे।
- 04- इसमें भैरिघोष (युद्ध नीति ) के स्थान पर धम्मघोष (बौद्ध नीति ) की चर्चा है।
- 05-इसमें धम्म महामात्र नामक अधिकारी की चर्चा है, जो धार्मिक जीवन की देख-रेख करता है ।
- 06- इसमें अशोक ने कहा है कि मेरा अधिकारी जनकल्याण के लिए जब चाहे मुझसे मिल सकते हैं।
- 07- इसमें अशोक ने विभिन्न धर्मों के आपसी समन्वय की बात कही है।
- 08- इसमें अशोक के राज्याभिषक से 8 वें वर्ष से प्रारम्भ धम्म यात्रा , राज्याभिषेक के 10 वें वर्ष - गया , राज्याभिषेक के 20 वें वर्ष - लुम्बनी की चर्चा है
- 09- इसमें सच्ची भेंट और शिष्टाचारों का वर्णन है।
- 10- राजा व अधिकारी हमेशा प्रजा के हित में सोचें।
- 11- धम्म की व्याख्या
- 12- इसमें स्त्रियों के स्थिति में सुधार के लिए स्त्रिमहामात्रा नामक अधिकारी की चर्चा है।
- 13- इसमें कलिंग युद्ध की चर्चा है।
- 14- अशोक ने जनता को धार्मिक जीवन व्यतीत करना के लिए प्रेरित किया।
- सबसे पहले शिलालेख खोजा -पद्रेटी फेंथैलर ने ( 1750 ई. में )
- सबसे पहले पढ़ा - जेम्स प्रिंसेप ( 1837 ई० में )
- सबसे बड़ा शिलालेख - तेरहवां
अशोक के अधिकांश शिलालेख प्राकृत भाषा में थे। जिसे 04 लिपियों में लिखा गया था।
- ब्राह्मी लिपी - यह अभिलेख भारत में मिले हैं।
- खरोष्टि लिपी - यह पाकिस्तान से मिले हैं।
- अरमाईक लिपी - यह अफगानिस्तान से मिली हैं।
- ग्रीक लिपी - यह अफगानिस्तान के उत्तरी सीमा से मिली हैं।
- खरोष्टि लिपी दाएं से बाएं और लिखी जाती थी।
- मध्य प्रदेश के गुर्जरा तथा कर्नाटक की मास्की, नेदर तथा उदेगोलान अभिलेखों में अशोक का स्पष्ट नाम अशोक लिखा हुआ है।
- राजस्थान के भाब्रू अभिलेख में अशोक ने खुद को मगध का सम्राट बताया है।
स्तंभ लेख :
- प्रयाग स्तंभ कौशाम्बी (UP) से - इलाहाबाद किले में - (अकबर द्वारा )
- टोपरा से दिल्ली में - ( फिरोजशाह तुगलक द्वारा )
- मेरठ से दिल्ली में - { फिरोजशाह तुगलक द्वारा }
- रामपुरवा - चंपारण ( बिहार में ) { खोज - कारलायल द्वारा }
- लोरिया अरारोजा - चंपारण
- लोरिया ननंदगढ़ - चंपारण, ( इस पर मोर का चित्र बन है )
- अशोक स्तंभ ( उत्तर प्रदेश के सारनाथ के म्यूजियम में रखा है )
- सबसे छोटा स्तंभ लेख - रूम्मिदेई( नेपाल )
- बराबर गुफा - कर्ज चौपार, विश्व झोपडी और सुदामा इनका निर्माण बोधगया में सम्राट अशोक ने आजीविक तपस्वियों के उपयोग के लिए करवाया था।
- सांची का स्तूप सम्राट अशोक ने बनवाया, यह रायसेन ( मध्य प्रदेश ) में बेतवा नदी के तट स्थित है ( यह बौद्ध आस्था का केंद्र बिंदु रहा है )
मौर्य प्रान्त की राजधानिया :
- पूर्वी प्रान्त / मौर्य वंश - पाटलिपुत्र
- उत्तरापथ - तक्षशिला
- दक्षिणापथ - सुवर्णगिरि
- अवन्ति - उज्जयनी
- कलिंग - तोशाली
उत्तराधिकारी :
- कुणाल
- सम्प्रति मौर्य ( अधोक का पोता )
- शालिसुक
- देववर्मन मौर्य
- शतधन्वन मौर्य
- बृहद्रथ मौर्य ( अंतिम शासक ) इसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने इनकी हत्या करके शुंगवंश की स्थापना कर दी।
अशोक के पोते दशरथ ने नागार्जुन गुफा आजीविक तपस्वियों को प्रदान की थी।
मौर्य साम्राज्य व्यवस्था
प्रमुख अध्यक्ष / अधिकारी :
- शुल्काध्यक्ष - व्यापार से प्राप्त कर / चुंगी एकत्रित करने वाला।
- पौतवाध्यक्ष - माप तौल के मान को नियंत्रित करने वाला।
- सूत्राध्यक्ष - वस्त्रोद्योग मंत्रीसूनाध्यक्ष- बूचड़खाने / चर्मउद्योग का अध्यक्ष ।
- लक्षणाध्यक्ष - टकसाल का अध्यक्ष ।
- अश्वाध्यक्ष - घोड़ों की देखभाल करने वाला।
- हस्त्याध्यक्ष - हाथियों की देखभाल करने वाला।
- अकाराध्यक्ष - खानमंत्री
- सीताध्यक्ष - कृषि विभाग का अध्यक्ष।
- मेगस्थनीज के अनुसार सेना की देखरेख के लिए अलग एक विभाग था। इस विभाग में 30 सदस्य थे।
- मेगस्थनीज ने आर्थिक आधार पर मौर्य वंश समाज को 7 वर्गों में बांटा है :दार्शनिक, कृषक ,व्यापारी,शिल्पी , सैनिक, निरीक्षक, मंत्री
- मौर्यकाल में लकड़ी के भवन हुआ करते थे, जो वर्तमान पटना से हैं।
- अशोक ने मध्य प्रदेश में साँची का स्तूप बनवाया है, जो सबसे बड़ा स्तूप है।
- अशोक ने (UP) के सारनाथ में अशोक स्तंभ बनवाया, जो अंहिसा का सूचक हैं, वर्तमान में यही भारत का राष्ट्रीय चिन्ह भी है।
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